चुनाव सुधारों पर काम करने वाली संस्था एडीआर (एसोसिएशन फार डेमोक्रेटिक रिफॉर्म) ने 2004 से 2015 के बीच हुए विभिन्न राज्यों में कुल 71 विधानसभा और तीन लोकसभा चुनाव में राजनीतिक पार्टियों की ओर से जुटाए कुल धन और खर्च की पड़ताल की है।
चुनाव सुधारों पर काम करने वाली संस्था एडीआर (एसोसिएशन फार डेमोक्रेटिक रिफॉर्म) ने 2004 से 2015 के बीच हुए विभिन्न राज्यों में कुल 71 विधानसभा और तीन लोकसभा चुनाव में राजनीतिक पार्टियों की ओर से जुटाए कुल धन और खर्च की पड़ताल की है। इस अध्ययन के नतीजों में यह मांग उठी है कि सभी राजनीतिक दल अपने खर्च का विवरण निर्धारित समय सीमा के भीतर दिए गए प्रारूप में प्रस्तुत करें। चुनाव अभियान के दौरान दलों को चंदा देने वाले लोगों की जानकारी सार्वजनिक करें और राजनीतिक दलों के चुनाव खर्च के लिए भी समीक्षक हो। संस्था की ओर से कहा गया कि ऐसा नहीं होने से एकत्रित धन के स्रोत का पता नहीं चल पाता और बाकी बचे हुए धन का उपयोग पार्टियां कहां करती हैं, इसकी भी जानकारी सार्वजनिक नहीं होती। इससे काला धन बड़ी मात्रा चुनावों में खर्च होता है। एडीआर के मुताबिक, यह विश्लेषण राष्ट्रीय और क्षेत्रीय दलों की ओर से 11 साल में हुए विधानसभा और लोकसभा चुनावों के दौरान जमा किए गए घोषणापत्रों पर आधारित है। इनमें चुनावों की घोषणा से लेकर इनके संपन्न होने के बीच जमा धन और खर्च की जानकारी है। इसमें सभी राज्य विधानसभा चुनावों के दौरान विभिन्न राजनीतिक दलों द्वारा एकत्रित कुल धन नकदी की हिस्सेदारी 63 फीसद या 2100 करोड़ बताई गई। इसी अवधि के दौरान हुए तीन लोकसभा चुनावों के दौरान नकदी के माध्यम से एकत्रित धन अपेक्षाकृत कम रहा। यह 44 फीसद या 1000 करोड़ रुपए रहा। एडीआर के आंकड़े दिखाते हैं कि इस अवधि में 71 राज्य विधानसभा चुनाव में राजनीतिक दलों ने नगदी के माध्यम से 2107.80 करोड़ रुपए जमा किए। साल 2004, 2009 और 2014 में हुए लोकसभा चुनावों में चेक से सर्वाधिक राशि आई जो 55 प्रतिशत या करीब 1300 करोड़ रुपए थी, वहीं इस दौरान 1039.06 करोड़ रुपए की नगदी आई। राज्यों के चुनावों के संदर्भ में देखें तो 2004 से 2015 के बीच 11 साल में चेक से 1244.86 करोड़ रुपए आए। हालांकि इस अध्ययन में हाल ही में संपन्न पांच राज्यों के चुनावों के आंकड़े शामिल नहीं हैं। वहीं राजनीतिक दलों की ओर से खर्च के लिहाज से देखें तो तीनों लोकसभा चुनावों में 83 प्रतिशत धन या 2044.67 करोड़ रुपये चेक के माध्यम से खर्च किए गए, वहीं विधानसभा चुनाव के दौरान यह राशि 65 फीसद थी। एडीआर के संस्थापक सदस्य और आइआइएम बंगलुरु के प्रोफेसर त्रिलोचन शास्त्री ने यहां सर्वेक्षण के नतीजों को जारी करने के लिए आयोजित संवाददाता सम्मेलन में कहा कि राजनीतिक दलों के चंदे के मामले में भारत कम पारदर्शी देश है। जबकि अमेरिका सरीखे देशों में चुनाव के दौरान एक-एक पल के खर्च और एकत्रित धन की जानकारी रखी जाती है। चुनाव के लिए खर्च सिर्फ चुनावी वर्ष से पहले ही राजनीतिक दल कर देते हैं। सर्वेक्षण बताता है कि लोकसभा चुनावों में सपा, आप, अन्नाद्रमुक, बीजद और अकाली दल ने 267.14 करोड़ रुपए का चंदा एकत्रित किया जो सभी क्षेत्रीय दलों द्वारा घोषित कुल धन का 62 प्रतिशत है। एडीआर के मुताबिक, इस सूची में सपा सबसे आगे है जिसने 118 करोड़ रुपए इकट्ठे किए और 90.09 करोड़ खर्चा किया। आम आदमी पार्टी केवल 2014 के लोकसभा चुनाव लड़ी। लेकिन धन एकत्रित करने के मामले में यह दूसरे स्थान पर रही और उसने 51.83 करोड़ रुपए के संग्रह की घोषणा की थी। 37.66 करोड़ रुपए एकत्रित करने की घोषणा के साथ अन्नाद्रमुक तीसरे स्थान पर रही। राष्ट्रीय पार्टियों में राकांपा और भाकपा के 2011 और 2015 के बीच हुए दो विधानसभा चुनावों के लिए धन संबंधी घोषणापत्र उपलब्ध नहीं हैं।