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Date: 
09.11.2016
City: 
Lucknow

 केन्द्र सरकार द्वारा 500 और 1000 रपये के नोटों का चलन बंद किये जाने का असर उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव लड़ने जा रही राजनीतिक पार्टियों की तैयारियों पर भी पड़ सकता है। हालांकि सभी पार्टियां केन्द्र सरकार के इस कदम से खुद पर पड़ने वाले असर के मुद्दे पर खामोश हैं, लेकिन चुनावों के लिये पार्टियों द्वारा चंदा एकत्र किये जाने के अब तक के तौर-तरीकों से यह सहज अंदाजा लगाया जा सकता है कि बड़ी नोटों का चलन बंद किये जाने से उन पर क्या असर पड़ेगा। 

चुनाव में नकदी के चलन का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पिछले तीन लोकसभा चुनावों के दौरान पार्टियों ने जहां 1299.53 करोड़ रपये चेक इत्यादि के जरिये एकत्र किया, वहीं 1,039 करोड़ रपये नकदी के रूप में इकट्ठा किये। 

एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) ने राजनीतिक दलों के आयकर रिटर्न के विश्लेषण में पाया कि राजनीतिक दलों ने पिछले तीन लोकसभा चुनाव के दौरान कुल 2,356 करोड़ रपये बतौर चंदा एकत्र करने की घोषणा की थी। इसमें से 44 प्रतिशत रकम नकदी के रूप में इकट्ठा की गयी थी। 

हालांकि राजनीतिक दलों ने चुनाव आयोग के दिशानिर्देशों के मुताबिक नकदी के रूप में एकत्र चंदे की रकम घोषित की लेकिन चुनाव के दौरान पुलिस द्वारा भारी मात्रा में नकदी पकड़ी जाने से यह संकेत मिलते हैं कि प्रचार अभियान के दौरान काले धन का भी इस्तेमाल किया गया। उदाहरण के तौर पर वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान आयोग ने करीब 330 करोड़ रपये की बेनामी नकदी पकड़ी थी।

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