दिल्ली में फरवरी में हुए विधानसभा चुनाव में विधायकों ने कितने रुपए खर्च किए, इसका खुलासा एक रिपोर्ट में किया गया है। चुनाव अधिकार संस्था एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) ने दिल्ली के 69 विधायकों के रिकॉर्ड का विश्लेषण कर रिपोर्ट जारी किया है।
दिल्ली में फरवरी में हुए विधानसभा चुनाव में विधायकों ने कितने रुपए खर्च किए, इसका खुलासा एक रिपोर्ट में किया गया है। चुनाव अधिकार संस्था एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) ने दिल्ली के 69 विधायकों के रिकॉर्ड का विश्लेषण कर रिपोर्ट जारी किया है।
चुनाव अधिकार संस्था एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) के अनुसार दिल्ली के जिन 69 विधायकों के रिकॉर्ड का विश्लेषण किया गया, उनमें से 31 ने अपने-अपने निर्वाचन क्षेत्रों में तय सीमा के 50 प्रतिशत से कम चुनाव खर्च की घोषणा की है। एडीआर ने कहा कि फरवरी में हुए विधानसभा चुनावों में विधायकों द्वारा खर्च की गई औसत राशि 20.79 लाख रुपए थी, जो तय सीमा का 52 प्रतिशत है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि पार्टीवार औसत चुनाव खर्च से पता चलता है कि भाजपा के 47 विधायकों का औसत खर्च 24.68 लाख रुपए (खर्च सीमा का 61.7 प्रतिशत) है और आप के 22 विधायकों का औसत खर्च 12.48 लाख रुपए (खर्च सीमा का 31.2 प्रतिशत) है।
रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि सबसे ज्यादा खर्च करने वाले शीर्ष तीन विधायक बीजेपी के हैं। आर के पुरम से अनिल कुमार शर्मा ने सबसे ज्यादा 31.91 लाख रुपए (तय सीमा का 80 प्रतिशत) खर्च किया, उसके बाद द्वारका से परद्युमन सिंह राजपूत ने 31.44 लाख रुपए (79 प्रतिशत) और जनकपुरी से आशीष सूद ने 30.68 लाख रुपए (77 प्रतिशत) खर्च किए।
सबसे कम खर्च करने वाले उम्मीदवार आम आदमी पार्टी के थे। मटिया महल से आले मोहम्मद इकबाल ने सिर्फ 4.53 लाख रुपए (11 प्रतिशत), सीमा पुरी से वीर सिंह धिंगान ने 6.5 लाख रुपए (16 प्रतिशत) और दिल्ली कैंट से वीरेंद्र सिंह कादियान ने 6.54 लाख रुपए (16 प्रतिशत) खर्च किए।
इस बीच, 65 प्रतिशत विधायकों ने इलेक्ट्रॉनिक या प्रिंट मीडिया पर खर्च की घोषणा की और 67 प्रतिशत ने कार्यकर्ताओं पर खर्च की जानकारी दी। इसके अलावा, 61 प्रतिशत विधायकों ने बैनर और पोस्टर जैसी सामग्री पर पैसा खर्च किया। रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्चुअल प्रचार लगभग पूरी तरह से नदारद रहा। केवल एक विधायक ने इस क्षेत्र में खर्च की घोषणा की।
फंडिंग के मामले में राजनीतिक दल चुनाव अभियान में होने वाले खर्चे का मुख्य स्रोत थे। विधायकों द्वारा जुटाए गए कुल फंड का 75 प्रतिशत हिस्सा पार्टियों से आया। लगभग 11 प्रतिशत धन उम्मीदवारों के निजी संसाधनों से प्राप्त हुई, जबकि 14 प्रतिशत धन व्यक्तियों, कंपनियों और अन्य संगठनों से प्राप्त हुई। 69 विधायकों में से 80 प्रतिशत ने कहा कि उन्हें अपने राजनीतिक दलों से वित्तीय सहायता मिली है, 57 प्रतिशत ने दान या ऋण के माध्यम से धन जुटाया और 91 प्रतिशत ने अपने अभियान के दौरान व्यक्तिगत धन का उपयोग किया।
एडीआर की रिपोर्ट में कहा गया है कि जिन 31 विधायकों ने अपने खिलाफ आपराधिक आरोप घोषित किए हैं, उनमें से 29 (94 प्रतिशत) ने पुष्टि की है कि उन्होंने अनिवार्य घोषणाओं को प्रकाशित करने पर पैसा खर्च किया है, जबकि दो ने ऐसा नहीं किया। एडीआर और दिल्ली इलेक्शन वॉच ने दिल्ली विधानसभा चुनावों के बाद नव-निर्वाचित विधायकों द्वारा प्रस्तुत 70 चुनाव-व्यय विवरणों में से 69 का विश्लेषण किया है। रोहिणी क्षेत्र से विधायक विजेंद्र गुप्ता (भाजपा) के व्यय विवरण का विश्लेषण नहीं किया गया, क्योंकि यह वेबसाइट पर उपलब्ध नहीं था।