गुजरात विधानसभा के चुनावों में इस बार जातिवाद हर बार से ज्यादा हावी रहेगा. जातिवाद का इतना असर कभी किसी चुनाव में नहीं दिखा होगा, जितना इस बार ये गुजरात में नजर आएगा. ये निष्कर्ष निकाला है एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफार्म ने. उसका आधार है एक सर्वे. जिसमें कहा गया है कि इस बार जनता जातिवाद के सहारे ही वोटिंग करेगी.
सर्वे में कहा गया है कि 80 फीसदी जनता इसी तरह वोट देती है. तक़रीबन दो लाख सत्तर हजार लोगों के सर्वे के बाद एडीआर का कहना है कि इसके लिए जिम्मेवार राजनीतिक दल ही हैं.
सर्वे में निकल कर आया है कि लंबे समय बाद गुजरात में चुनाव जातियों में बंटा दिख रहा है. कहीं पाटीदार, कहीं ठाकुर और कहीं आदिवासी. एडीआर के प्रमुख अनिल वर्मा कहते हैं कि पार्टियों से ऊपर जातियां हावी लग रही हैं.
दिलचस्प आंकड़े
हालांकि एडीआर के मुताबिक कुछ और भी आंकड़े दिलचस्प हैं.
- 19 फीसदी विधायकों ने इनकम टेक्स रिटर्न की जानकारी ही नहीं दी.
- 05 फीसदी विधायकों के पास कार्ड नहीं है.
- 21 विधायकों पर गंभीर तरह के अपराध दर्ज हैं
- कुल 49 विधायकों पर आपराधिक मामले दर्ज हैं, जिसमें भाजपा के 30 और कांग्रेस के 15 विधायक हैं.
ये भी है हैरानी
सर्वे में हैरानी की ये बात भी सामने आई है कि 80 फीसदी जनता आपराधिक पृष्ठभूमि वाले नेताओं को वोट देती है.
