देश के 51 सांसद और विधायक महिलाओं पर अत्याचार के आरोपी हैं. एडीआर और नेशनल इलेक्शन वाच की ताजा रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है. एडीआर और नेशनल इलेक्शन वॉच ने 4896 में से 4852 सांसद-विधायकों के शपथपत्रों का विश्लेषण किया था. रिपोर्ट के मुताबिक 33 फीसदी (1581) सांसद-विधायकों ने अपने उपर आपराधिक मामले घोषित किये हैं. इनमें से 51 ने अपने उपर महिलाओं के उपर अत्याचार से संबंधित मामले घोषित किये हैं. इन 51 में 3 सांसद और 48 विधायक शामिल हैं.
अत्याचार करने वाले 334 उम्मीदवारों को मिला टिकट
महिलाओं पर अत्याचार के आरोप का मामला घोषित करने के बाजदूर 4852 सांसदों-विधायकों में से 334 को विभिन्न राजनीतिक पार्टियों ने अपने-अपने दल से टिकट दिया है. रिपोर्ट में यह भी खुलासा हुआ है कि पिछले 5 सालों में लोकसभा-राज्यसभा एवं विधानसभाओं में चुनाव लड़ने वाले 122 निर्दलीय उम्मीदवार ऐसे हैं जिन्होंने अपने उपर महिलाओं के उपर अत्याचार से संबंधित मामले घोषित किये थे. वहीं आरोपी 40 उम्मीदवारों को राजनीतिक दलों ने लोकसभा और राज्यसभा चुनाव के लिए टिकट दिया था तथा 294 उम्मीदवारों को विभिन्न मान्यता प्राप्त दलों ने विधानसभा चुनावों में टिकट दिया था.
महिलाओं पर अत्याचार करने वाले निर्दलीय उम्मीदवारों की भी संख्या एसेंबली में है ज्यादा
पिछले 5 सालों में लोकसभा और राज्यसभा चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवारों ने अपने पर महिलाओं पर अत्याचार से संबंधित मामले घोषित किये थे. वहीं राज्य के विधानसभा चुनावों में 103 निर्दलीय उम्मीदवारों ने भी घोषित किया था. यानी राज्यसभा, लोकसभा और विधानसभा में महिलाओं पर अत्याचार कर पहुंचे निर्दलीय जनप्रतिनिधियों की भी कमी नहीं है.
अत्याचारी नेताओं को राजनीतिक पार्टियों ने दिया टिकट
एडीआर और नेशनल इलेक्शन वॉच की रिपोर्ट से यह साफ है कि संसद के दोनों सदनों और राज्य के विधानसभाओं में जीतकर पहुंचे अधिकतर नेताओं ने महिलाओं पर अत्याचार किया है. हैरानी की बात यह है कि इन नेताओं ने अपने चुनावी शपथपत्र में इसका जिक्र भी किया, लेकिन देश की सभी पार्टियों ने ऐसे लोगों को चुनाव लड़ने के लिए टिकट दे दिया. बड़े शर्म की बात है कि जिस देश में महिलाओं को पूजा जाता है, उसी देश में महिलाओं पर अत्याचार करने वाले लोग चुनाव जीत कर देश और राज्य के नीति-निर्धारक बन चुके हैं.
