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Bhopal
मध्य प्रदेश में ऐसा पहली बार हो रहा है, जब वोटर अपना नुमाइंदा चुनने के वक्त सभी उम्मीदवारों के आपराधिक रिकॉर्ड से लेकर संपत्ति और लेनदेन का ब्यौरा पोलिंग बूथ पर ही देख सकेगा। यानी वोट डालने के पहले वह सभी उम्मीदवारों का लेखा-जोखा देखकर ही मतदान केंद्र में प्रविष्ट होगा। आगामी 11 अगस्त को राज्य के 15 जिलों में 37 नगरीय निकायों के लिए चुनाव होना है। यह व्यवस्था इन चुनावों से लागू होने जा रही है।
महाराष्ट्र के बाद मध्यप्रदेश दूसरा राज्य है, जहां चुनाव सुधार की दिशा में यह कदम उठाया गया है। पंचायत चुनावों में भी यह व्यवस्था लागू की जाएगी। राज्य निर्वाचन आयोग की पहल पर यह किया जा रहा है। आयोग की सचिव सुनीता त्रिपाठी के अनुसार सभी कलेक्टरों और निकायों को आदेश भेज दिए गए हैं। उनसे कहा गया है कि इसका विज्ञापन के जरिए व्यापक प्रचार प्रसार करें, ताकि मतदाता जागरूक हों और उम्मीदवार के बारे में पूरी जानकारी के बाद अपना वोट दें।

जानकारी के अनुसार पोलिंग बूथ के बाहर एक फ्लैक्स या बैनर पर सभी उम्मीदवारों के बारे में संबंधित ब्यौरा दिया जाएगा। जिसमें शिक्षा, आपराधिक रिकार्ड (यदि है तो), संपत्ति, देनदारी वगैरह शामिल होगी। चुनाव सुधार के लिए काम करने वाली संस्था एडीआर की एमपी इकाई की संयोजक रोली शिवहरे कहती हैं, यह स्वागत योग्य कदम है। अन्य राज्यों को भी यह लागू करना चाहिए। मतदाताओं की भी जिम्मेदारी बनती है कि वे आपराधिक तत्वों को राजनीति में आगे बढ़ने से रोकें। इस व्यवस्था से वोटरों में जागरूकता आएगी। बेहतर होगा कि यह नियम विधानसभा और लोकसभा चुनावों में भी लागू हो।

हालांकि जानकार बताते हैं कि इस कवायद में चूंकि बड़ा बजट चाहिए, लिहाजा निर्वाचन आयोग ने 11 अगस्त को होने वाले नगरीय व पंचायत चुनावों के लिए ही लागू किया है। आगे होने वाले चुनावों के बारे में सरकार की मंजूरी के बाद ही फैसला होगा। राज्य में करीब चार सौ नगरीय निकाय व 24 हजार पंचायतें हैं। जाहिर है चुनाव में हजारों प्रत्याशी भाग्य आजमाते हैं। लिहाजा बजट का अनुमान लगाने के बाद मुमकिन है कि इसे अनिवार्य कर दिया जाए।