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Source
Aaj Tak
https://www.aajtak.in/india/news/story/supreme-court-will-hear-the-election-funding-case-in-the-last-week-of-january-2023-ntc-1595486-2022-12-15
Author
Sanjay Sharma
Date
City
New Delhi

इन याचिकाओं में कहा गया है कि इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए राजनीतिक दलों को मिलने वाले चंदे का मूल स्रोत पता नहीं चल पाता, लिहाजा ये प्रक्रिया और प्रावधान लोकतंत्र के लिए नुकसानदेह है. वहीं सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने इस महत्वाकांक्षी योजना का बचाव करते हुए कहा कि ये बेहद पारदर्शी योजना है.

चुनावी चंदे को और पारदर्शी बनाने की गरज से शुरू की गई इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट अब जनवरी के आखिरी हफ्ते में सुनवाई करेगा. इन याचिकाओं में कहा गया है कि इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए राजनीतिक दलों को मिलने वाले चंदे का मूल स्रोत पता नहीं चल पाता, लिहाजा ये प्रक्रिया और प्रावधान लोकतंत्र के लिए नुकसानदेह है. वहीं सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने इस महत्वाकांक्षी योजना का बचाव करते हुए  कहा कि ये बेहद पारदर्शी योजना है.

सुनवाई के दौरान जस्टिस बीआर गवई ने कहा कि ये मामला तो 2015 से ही लंबित है, तो इसमें अर्जेंट सुनवाई का क्या मतलब है? इस पर एक याचिकाकर्ता एडीआर के वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि पहले तो हमें ये समझना है कि इस मामले को बड़ी पीठ यानी संविधान पीठ के सामने सामने सुनवाई के लिए भेजा जाए. क्योंकि इसमें कुछ संवैधानिक मसले भी जुड़े हैं. लिहाजा उनकी व्याख्या संविधान पीठ ही कर सकती है. 

जस्टिस गवई ने कहा कि निकट में कोई चुनाव नहीं है और हमें इसे विस्तार और गहराई से सुनना है. लिहाजा हम इसे जनवरी के आखिरी हफ्ते में सुन सकते हैं. इसके साथ ही पीठ ने इसकी सुनवाई जनवरी के अंतिम हफ्ते के लिए स्थगित कर दी.

क्या होते हैं इलेक्टोरल?

बॉन्ड सरकार ने इस दावे के साथ साल 2018 में इस बॉन्ड की शुरुआत की थी कि इससे राजनीतिक फंडिंग में पारदर्शिता बढ़ेगी और साफ-सुथरा धन आएगा. इसमें व्यक्ति, कॉरपोरेट और संस्थाएं बॉन्ड खरीदकर राजनीतिक दलों को चंदे के रूप में देती हैं और राजनीतिक दल इस बॉन्ड को बैंक में भुनाकर रकम हासिल करते हैं. भारतीय स्टेट बैंक की 29 शाखाओं को इलेक्टोरल बॉन्ड जारी करने और उसे भुनाने के लिए अधिकृत किया गया. ये शाखाएं नई दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई, गांधीनगर, चंडीगढ़, पटना, रांची, गुवाहाटी, भोपाल, जयपुर और बेंगलुरु की हैं. 

क्यों जारी हुआ था इलेक्टोरल बॉन्ड? 

चुनावी फंडिंग व्यवस्था में सुधार के लिए सरकार ने पिछले साल इलेक्टोरल बॉन्ड की शुरुआत की है. 2 जनवरी, 2018 को तत्कालीन मोदी सरकार ने इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम को अधिसूचित किया था. इलेक्टोरल बॉन्ड फाइनेंस एक्ट 2017 के द्वारा लाए गए थे. यह बॉन्ड साल में चार बार जनवरी, अप्रैल, जुलाई और अक्टूबर में जारी किए जाते हैं. इसके लिए ग्राहक बैंक की शाखा में जाकर या उसकी वेबसाइट पर ऑनलाइन जाकर इसे खरीद सकता है.


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