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सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को एक याचिका पर अहम फैसला दिया कि राजनीतिक दलों को चुनाव से पूर्व आपराधिक छवि वाले उम्मीदवार के चयन का कारण बताना होगा। उत्तराखंड की चुनावी सियासत के लिहाज से सर्वोच्च अदालत का यह निर्णय काफी अहम माना जा रहा है। वर्तमान में उत्तराखंड की विधानसभा में 22 विधायकों पर आपराधिक केस दर्ज हैं। इनमें से चार तो त्रिवेंद्र सरकार में कैबिनेट मंत्री के पद पर हैं।
वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव के दौरान निर्वाचन आयोग की दी गई जानकारी के अनुसार, प्रदेश में सबसे अधिक एक दर्जन आपराधिक मामले में विद्यालयी शिक्षा मंत्री अरविंद पांडेय पर दर्ज थे। इनमें कुछ मामले संगीन धाराओं में दर्ज हैं। साफ है कि आपराधिक छवि वाले प्रत्याशियों को चुनाव में उतारने के मामले में प्रदेश के राजनीतिक दल भी पीछे नहीं हैं।
कानून व्यवस्था के मामले में खासा शांत माने जाने वाले इस पर्वतीय राज्य में मुख्य राजनीतिक दल भाजपा, कांग्रेस समेत अन्य सियासी दलों ने ऐसे चेहरों को भी मैदान में उतारा जिन पर गंभीर धाराओं में मुकदमे दर्ज थे। इसकी तस्दीक गैरसरकारी संस्था एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफार्म्स (एडीआर)की रिपोर्ट से होती है।