नयी दिल्ली, चार मई (भाषा) चुनाव अधिकार निकाय एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) ने कहा है कि उत्तर प्रदेश के 35 नवनिर्वाचित विधान पार्षदों (एमएलसी) में से करीब 40 प्रतिशत ने अपने खिलाफ आपराधिक मामले घोषित किए हैं। इन आरोपों में हत्या और हत्या का प्रयास शामिल हैं।
उत्तर प्रदेश इलेक्शन वॉच और एडीआर ने 36 नए एमएलसी में से 35 के हलफनामों का विश्लेषण किया है।
एडीआर ने कहा कि रिपोर्ट बनाते समय जनसत्ता दल (लोकतांत्रिक) के एमएलसी अक्षय प्रताप सिंह के हलफनामे का विश्लेषण नहीं किया गया क्योंकि चुनाव कार्यालय की वेबसाइट पर ठीक से स्कैन किए गए दस्तावेज नहीं थे।
रिपोर्ट के अनुसार, नौ (26 प्रतिशत) एमएलसी ने गंभीर आपराधिक मामले घोषित किए हैं जिनमें हत्या और हत्या के प्रयास आदि से संबंधित मामले शामिल हैं। ये सभी भारतीय जनता पार्टी के सदस्य हैं। विधान परिषद के तीन सदस्यों ने हत्या से संबंधित मामले घोषित किए हैं वहीं चार सदस्यों ने हत्या के प्रयास के मामले घोषित किए हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि भाजपा के 33 एमएलसी में से 13 (39 प्रतिशत) और एक निर्दलीय एमएलसी ने अपने हलफनामों में अपने खिलाफ आपराधिक मामले घोषित किए हैं। 35 नवनिर्वाचित एमएलसी में से 33 (94 प्रतिशत) करोड़पति हैं। भाजपा के 31 (94 प्रतिशत) एमएलसी और दो निर्दलीय एमएलसी ने एक करोड़ रुपये से अधिक संपत्ति होने की घोषणा की है। नए सदस्यों की औसत संपत्ति 17.39 करोड़ रुपये है।
भाजपा ने राज्य विधान परिषद के द्विवार्षिक चुनावों में 27 में से 24 क्षेत्रों में जीत हासिल की। उन सीटों के लिए नौ अप्रैल को मतदान हुआ था। पार्टी उससे पहले नौ सीटों पर निर्विरोध जीत चुकी थी।