नयी दिल्ली, 13 नवंबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने चुनाव आयोग को यह निर्देश देने की जनहित याचिका पर विचार करने से मंगलवार को मना कर दिया कि मतदाताओं को चुनाव में खड़े उम्मीदवारों की आपराधिक पृष्ठभूमि और उनकी संपत्तियों के बारे में जानने के बुनियादी अधिकार को लागू किया जाए। प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि इस तरह के मुद्दे न्यायिक फैसलों का विषय नहीं हो सकते और यह काम चुनाव आयोग जैसे अन्य संवैधानिक प्राधिकारों का है। पीठ में न्यायमूर्ति एस के कौल और न्यायमूर्ति के एम जोसफ भी हैं। पीठ ने कहा, ‘‘क्या यह न्यायिक फैसलों और निर्देशों का विषय हो सकता है।’’ भाजपा नेता और वकील अश्चिनी उपाध्याय की जनहित याचिका पर विचार करने से इनकार करते हुए पीठ ने कहा, ‘‘हमें और भी बहुत काम करने हैं। अन्य संवैधानिक प्राधिकारों को भी काम करने दिया जाए।’’ जनहित याचिका में चुनाव आयोग की हालिया अधिसूचना का जिक्र किया गया था और कहा गया कि आदर्श आचार संहिता या चुनाव चिह्न आदेश में संशोधन किये बिना इन्हें जारी किया गया है और इसलिए इनमें उम्मीदवारों को उनकी व्यक्तिगत जानकारी देने के लिए बाध्य करने का कानूनी आधार नहीं है। कुछ दिन पहले ही तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने कहा था कि सभी उम्मीदवारों को चुनाव लड़ने से पहले चुनाव आयोग को अपनी आपराधिक पृष्ठभूमि का ब्योरा देना होगा।