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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकसभा ओर विधानसभा चुनाव एक साथ कराने की मुहिम पर एक राष्ट्र एक चुनाव को अमली जामा पहनाया जाने वाला लगता है। इस संबंध में विधि आयोग आगामी सर्वदलीय बैठक के बाद अपनी अंतिम रिपोर्ट सरकार को सौंपेगा। यह भारत के भविष्य की एक निर्णायक और बड़ी घटना होगी। चुनाव सुधारों को लेकर कई राजनीतिक टिप्पणीकारों और नेताओं के सुझाव मांगे गए हैं।

बताया जाता है कि विधि आयोग ने सभी राजनीतिक पार्टियों को पत्र लिखकर कहा ​है कि वे 8 और 9 जुलाई को एक राष्ट्र एक चुनाव के मुद्दे पर सलाह मशवरा करने के लिए विधि आयोग की बैठक में आएं। सूत्रों के अनुसार विधि आयोग ने इससे पहले राजनीतिक पार्टियों को लिखा था कि वे इस मुद्दे पर अपनी राय दें। कुछ पार्टियों ने विधि आयोग को जवाब नहीं दिया। परिणाम स्वरूप विधि आयोग ने अपनी अंतिम रिर्पोट सौंपने से पहले पार्टियों को एक और अवसर प्रदान किया है। राजनीतिक दलों की राय मिलने के बाद अंतिम रिर्पोट विधि मंत्रालय को सौंपी जाएगी।

भाजपा के अलावा समाजवादी पार्टी के अखिलेश यादव ने भी पहले चुनाव सुधारों के समर्थन में बयान दिया था, मगर माकपा, भाकपा, राकपा और जदयू ने इस विचार का विरोध किया था। विधि और न्याय राज्य मंत्री पीपी चौधरी ने एक टीवी चैनल को बताया कि पीएम मोदी द्वारा एक राष्ट्र एक चुनाव कराने का प्रस्ताव बहुत अच्छा है। यह देश के लिए अच्छा है और विकास के लिए अच्छा है। अरुणाचल प्रदेश, हरियाणा, महाराष्ट्र, उड़ीसा, सिक्किम और तेलंगाना में विधानसभा चुनाव आगामी लोकसभा चुनावों के साथ होंगे।