बीजेपी की तुलना में उसे केवल 26.658 करोड़ का चंदा प्राप्त हुआ है। बसपा ने इस कोटि में कोई चंदा न मिलने की बात कही है। यह बात एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) की एक रिपोर्ट में सामने आई है। एडीआर के मुताबिक साल 2017-18 में 2977 लोगों ने 20000 रुपये या इससे अधिक राशि का चंदा दिया है। इसकी कुल राशि 437.04 करोड़ रुपये है।
इसके बाद कांग्रेस को 777 लोगों ने 26.658 करोड़ का चंदा दिया है। एनसीपी को 42 लोगों के द्वारा 2.087 करोड़ रुपये, सीपीएम को 196 लोगों के द्वारा 2.756 करोड़ रुपये, सीपीआई को 176 लोगों के द्वारा 1.146 करोड़ रुपये और तृणमूल कांग्रेस को 33 लोगों के द्वारा बीस लाख रुपये का चंदा प्राप्त हुआ है।
दिल्ली वाले सबसे ज्यादा चंदा देने वाले
एडीआर की रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली वालों ने पूरे देश में सबसे ज्यादा राजनीतिक चंदा दिया है। कुल चंदे का 208.56 करोड़ रुपये दिल्ली से प्राप्त हुआ है। 71.93 करोड़ रुपये महाराष्ट्र से और 44.02 करोड़ रुपये गुजरात से प्राप्त हुआ है।
बसपा ने 12 साल से नहीं दी कोई जानकारी
क्या कहते हैं विशेषज्ञ
अनिल वर्मा के मुताबिक पिछले आम चुनाव के बाद चुनाव आयोग ने कुल 30 हजार करोड़ रुपये खर्च होने की बात कही थी। जबकि असलियत यह है कि उस चुनाव में एक लाख पचीस हजार करोड़ रुपये से अधिक खर्च किया गया। पूर्व चुनाव आयुक्त एसवाई कुरेशी ने अपनी पुस्तक अनडॉक्यूमेंटेड वंडर में इस बात की विस्तृत जानकारी दी है।
होना क्या चाहिए
अनिल वर्मा के मुताबिक उम्मीदवारों के साथ-साथ राजनीतिक दलों के द्वारा खर्च की सीमा भी निर्धारित कर दी जानी चाहिए। क्योंकि हेलीकॉप्टर जैसी महंगी सेवाओं के लेने के कारण उनका चुनावी खर्च बहुत ज्यादा होता है। इसके अलावा एक भी रुपये के चंदे को देने वाले का नाम पार्टी की वेबसाइट पर देना अनिवार्य होना चाहिए।