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चुनाव प्रचार पर खर्च के मामले में केरल देश में सबसे आगे है। यहां उम्मीदवारों ने तय सीमा का औसतन 70 प्रतिशत से ज्यादा पैसा खर्च किया है। करीब 59 प्रतिशत खर्च के साथ गुजरात दूसरे नंबर पर है। विजयी उम्मीदवारों के वोट शेयर के मामले में अरुणाचल प्रदेश सबसे आगे है। यहां जीते उम्मीदवारों को 53 प्रतिशत वोट मिले हैं। एसोसिएशन फॉर डैमोक्रेटिक रिफॉम्र्स और नैशनल इलैक्शन वॉच ने 4120 मौजूदा विधायकों में से 4087 विधायकों के चुनावी खर्च और वोट शेयर के विश्लेषण के आधार पर रिपोर्ट जारी की। 

सरकार के सुझावों के तहत चुनाव आयोग ने 2014 में उम्मीदवारों का चुनावी खर्च दोबारा तय किया था। इसमें छोटे और बड़े राज्यों के हिसाब से हर उम्मीदवार के प्रचार पर खर्च की चार कैटेगरी यानी 8 लाख रुपए, 16 लाख रुपए, 20 लाख रुपए और 28 लाख रुपए बनाई गई थीं। 28 लाख रुपए की लिमिट वाले राज्य उम्मीदवारों के चुनावी खर्च में जम्मू-कश्मीर सबसे पीछे वहीं पंजाब चौथे व हिमाचल 5वें पर है तो हरियाणा 17वें नंबर पर है।

किस चीज पर कितना खर्च
वाहन 26 प्रतिशत, बैठक, समारोह 25 प्रतिशत, स्टार प्रचारकों के प्रचार पर 10 प्रतिशत, प्रचार सामग्री पर 17 प्रतिशत, कार्यकत्र्ताओं पर 10 प्रतिशत, मीडिया से प्रचार पर 5 प्रतिशत व अन्य खर्चों पर 7 फीसदी खर्च किया। 

मीडिया से प्रचार पर सबसे कम खर्च
2013 से 2018 के बीच जिन राज्यों में विधानसभा चुनाव हुए वहां देखा गया कि उम्मीदवारों ने सबसे ज्यादा खर्च चुनाव प्रचार में लगे वाहनों पर किया। उन्होंने पिं्रट और इलैक्ट्रॉनिक मीडिया के जरिए प्रचार पर सिर्फ  5 प्रतिशत खर्च किया।