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Source
ETV Bharat
Date
City
Dehradun

उत्तराखंड जैसे पहाड़ी और छोटे राज्य में भी नेता चुनाव लड़ने में खूब पैसा बहाते हैं. सरकारी आंकड़ों से अलग विधायक कितना पैसा खर्च होता है, यह आम जनता को भी मालूम है. बात अगर सरकारी आंकड़ों पर नजर डालें तो भी उत्तराखंड के विधायक भी चुनावों में पैसा बहाने से पीछे नहीं है. चुनाव आयोग ने विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए इस बार चुनाव में खर्च करने की सीमा में बढ़ोतरी की थी. इसे 28 लाख से बढ़ाकर 40 लाख कर दिया गया था.

65 विधायकों का चुनावी खर्च: ₹40 लाख तय की गई खर्च सीमा के बाद जो आंकड़े राज्य के 65 विधायक प्रत्याशियों के निकल कर सामने आए हैं. इनमें सबसे कम खर्च करने वाले हरिद्वार जिले के विधायक हैं. वहीं, सबसे अधिक खर्च करने वालों में पिथौरागढ़ के विधायक हैं. हम जो आपको आंकड़े बता रहे हैं, उन आंकड़ों में यह आपको साफ दिख जाएगा कि कांग्रेस से अधिक भारतीय जनता पार्टी के विधायकों ने चुनाव लड़ने में पैसा खर्च किया है. जबकि सबसे कम पैसा उत्तराखंड में बसपा प्रत्याशियों ने किया है.

अधिक खर्च करने वाले विधायक: सबसे अधिक विधानसभा चुनावों में पैसा खर्च करने वाले पिथौरागढ़ से कांग्रेस विधायक मयूख महर हैं. मयूख ने चुनाव में 35,85,627 रुपए खर्च किए हैं. जबकि खानपुर से निर्दलीय विधायक उमेश शर्मा काऊ ने 33,14,458 रुपए खर्च किए हैं. जागेश्वर से बीजेपी विधायक मोहन सिंह ने 32,74,791 रुपए खर्च किए हैं. जबकि रुड़की से भाजपा विधायक प्रदीप बत्रा ने भी 32,00,000 रुपए खर्च किए हैं. गदरपुर से भाजपा विधायक अरविंद पांडे ने लगभग 31 लाख रुपए खर्च किए हैं. भीमताल से विधायक राम सिंह खेड़ा ने ₹30,00,00 से अधिक का खर्च किया है.

विधायकों का चुनावी खर्च: काशीपुर से भाजपा विधायक त्रिलोक सिंह चीमा ने 30,00,000 से अधिक खर्च किए हैं. जबकि गणेश जोशी ने 29 लाख रुपए से अधिक का खर्च किया है. बिशन सिंह चुफाल ने 12,00,000 रुपए खर्च किए हैं. जबकि केदारनाथ से विधायक सैलानी रावत ने 13 लाख रुपए का खर्च किया है. लोहाघाट से कांग्रेस के विधायक कुशल सिंह अधिकारी ने 13 लाख रुपए खर्च किए हैं. जबकि रायपुर से भाजपा के विधायक उमेश शर्मा काऊ ने करीब 14 लाखों रुपए खर्च किए हैं.

नये विधायकों ने चुनाव में कर्म खर्च किए: सबसे कम खर्च नये विधायकों ने किया है. लक्सर से विधायक शहजाद ने 11,33,960 खर्च किए हैं. जबकि सबसे कम खर्चा करने वालों में सरवत करीम अंसारी बसपा से मंगलौर के विधायक हैं. इन्होंने 7,52,930 रुपए चुनाव में खर्च किए हैं. वही, ज्वालापुर सीट से कांग्रेस विधायक रवि बहादुर ने 10,76,037 लाखों रुपए खर्च किए हैं.

स्टार प्रचारकों पर खर्च: विधानसभा चुनावों में भाजपा के 43 विधायकों ने स्टार प्रचारकों के कार्यक्रमों में औसत 1.82 लाख खर्च किए हैं. जबकि कांग्रेस के विधायकों ने स्टार प्रचारकों को बुलाने और प्रचार करने के लिए 72,000 औसत खर्च किए हैं. अगर बात बसपा के 2 विधायकों की करें तो उन्होंने भी 16.50 हजार रुपये स्टार प्रचारकों के लिए खर्च किया है. बीते चुनावों में कांग्रेस को भारतीय जनता पार्टी से अधिक चंदा मिला है. एक औसत के मुताबिक विधानसभा चुनावों में कांग्रेस को 73.05% दान मिला है. जबकि भाजपा को 70.72 % दान मिला है.

उत्तराखंड विधायकों की सैलरी: अब बात कर लेते हैं विधायकों की सैलरी की. चुनावों में मोटी रकम खर्च करने वाले विधायकों की सैलरी की हम बात करें तो भारत में दूसरे सबसे ज्यादा सैलरी लेने वाले उत्तराखंड के विधायक हैं. इस बात में कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी भारत में तेलंगाना ही एक ऐसा राज्य है, जहां पर विधायकों की सैलरी लगभग 2 लाख 50 हजार रुपए है. हालांकि, इसमें भत्ते और अन्य सुविधा भी जोड़ी गई हैं. जबकि भारत में दूसरा उत्तराखंड ऐसा राज्य है, जहां पर विधायकों की सैलरी लगभग 2 लाख रुपये है. इसमें 30 हजार रुपए सैलरी और बाकी पैसा महंगाई भत्ता और अन्य खर्च के लिए दिया जाता है. मतलब 70 विधायकों को हर माह राज्य सरकार 1 करोड़ 40 लाख रुपए तनख्वाह देती है. इससे अलग मंत्रियों के भत्ते और उनके सुख सुविधाएं अलग है.

जनता पर पैसा खर्च करने में पीछे विधायक: उत्तराखंड में एक विधायक को 3 करोड़ 75 लाख रुपए दिए जाते हैं. ताकि, वह क्षेत्र का विकास कर सके. ऐसा नहीं है कि किसी विधायक को यह पैसे कम और ज्यादा मिलते हैं. बावजूद इसके विधायक जनता के इस पैसों को जनता पर ही इस्तेमाल नहीं करते. एक रिपोर्ट के मुताबिक उत्तराखंड में साल 2017 से लेकर 2021 तक 1296.50 करोड़ रुपए की विधायक निधि विधायकों को दी गई. इसमें 2021 सितंबर तक मात्र 77% यानी की 963.40 करोड़ रुपए की निधि ही खर्च हो पाई. वहीं, 23% विधायक निधि उत्तराखंड में विधायक खर्च नहीं कर पाए. 293.10 करोड़ रुपए अभी भी विधायक निधि में बचे हुए थे.