चुनाव आयोग ने इस बार 100 फीसदी वीवीपीएट के इस्तेमाल का एलान कर उन सभी का मुंह बंद करने की कोशिश की है जो ईवीएम पर सवाल खड़े करते हैं। चुनाव एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें सौ फीसदी तसल्ली किसी को भी नहीं होती। कोई ना कोई पक्ष असंतुष्ट रह ही जाता है और उसका इजहार भी करता है।
मतदाताओं को यकीन रखना चाहिए की चुनाव आयोग साफ सुथरा चुनाव करवाने के लिए हर तरह के उपाय करता है। उसके किसी भी फैसले के पीछे काफी मेहनत और बड़ी सोच छुपी होती है। जहां तक कई राज्यों के चुनाव को कई चरणों में बांटने का सवाल है तो यह कोई नई बात नहीं। पहले भी ऐसा होता रहा है। इसे सुचारु चुनाव प्रबंधन के अलावा किसी और नजरिए से देखा जाना उचित नहीं।
हालांकि इस बार आयोग ने एक खास तरीके से विभिन्न चरणों में चुनाव का फैसला क्यूं लिया इसकी समीक्षा किए बिना कुछ कहना जल्दबाजी होगी। हरेक पांच साल पर होने वाला चुनाव हर बार एक नया रूप लेता है। मतदाता को यह बात समझना होगा कि आयोग नए हालात के मुताबिक कई नए तरह के फैसले लेता है। यह एक जटिल प्रक्रिया होती है। जिसकी बखिया उधेडने से आयोग पर सवाल खड़े होते हैं और मतदाताओं में भ्रम। एक स्वस्थ्य लोकतंत्र के लिए इस स्थिति से बचना ही उचित है।