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नई दिल्ली: राजनीतिक दल लोगों से कितना चंदा लेते हैं? आम लोगों के पास शायद ही इस सवाल का जवाब हो. लेकिन राजनीतिक दलों के चंदे पर नज़र रखने वाले गैर सरकारी संगठन एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक राइट्स यानी एडीआर की ताज़ा रिपोर्ट ने इन सवालों के जवाब को सामने लाकर रख दिया है. पूरे भारत से बीजेपी को सबसे अधिक 4483 लोगों ने 742.15 करोड़ रुपए का चंदा दिया. कांग्रेस को 605 लोगों ने 148.58 करोड़ रुपए का चंदा दिया. बीजेपी का कुल चंदा पांच राष्ट्रीय दलों के मुकाबले 3 गुना ज्यादा रहा.

बसपा ने बीते 13 वर्षो की तरह इस वित्तीय वर्ष में ही बताया कि पार्टी को 20,000 से ज्यादा दान के रुप में कोई चंदा मिला ही नहीं. देश की 7 बड़ी राजनीतिक पार्टियों को 20,000 से ज्यादा की राशि जो चंदे के रूप में मिली है उसका विश्लेषण एडीआर की तरफ से किया गया है.

सभी राष्ट्रीय पार्टियों को हर साल 30 सितंबर तक अपनी रिपोर्ट चुनाव आयुक्त को देनी होती है इसमें पार्टी को कितना चंदा मिला किस-किस चोट से मिला उसका पूरा ब्यौरा देना होता है, 20,000 से ज्यादा की धनराशि जो भी पार्टी को चंदे के रूप में मिलता है, उसका ब्यौरा देना होता है.

एडीआर की तरफ से 2018-19 के दौरान देश की 7 बड़ी राजनीतिक पार्टियों को जो दान की राशि 20,000 से अधिक की चंदे के रूप में मिली है उसका एनालिसिस किया गया है, जिसमें साफ तौर पर यह दिख रहा है कि कई राजनीतिक पार्टियों ने उन दानदाताओं के पैन नंबर का ब्यौरा ही नहीं दिया जिन्होंने राजनीतिक पार्टियों को 20,000 से अधिक की राशि चंदे के रूप में दान दी.

एडीआर ने 2018-19 के वित्तीय वर्ष के दौरान बीजेपी कांग्रेस, बीएसपी, एनसीपी, सीपीआई, सीपीएम और ऑल इंडिया तृणमूल कांग्रेस यानी एआईटीसी के सालाना चंदे के पूरे का विश्लेषण कर रिपोर्ट तैयार की है.

बीते वित्तीय वर्ष में जिन राजनीतिक दलों को 30 सितंबर 2019 के पहले अपने दान का विवरण चुनाव आयोग को देना था. उनमें से बीएसपी कांग्रेस एनसीपी और तृणमूल कांग्रेस ने अपने चंदे का ब्योरा निर्धारित समय सीमा से पहले प्रस्तुत किया कर दिया था जबकि सीपीआई ने निर्धारित तिथि से 3 दिन बाद सीपीएम ने 21 दिन बाद और बीजेपी ने 31 दिन की देरी के बाद चुनाव आयोग को यह ब्यौरा सौंपा.

गौर करने वाली बात यह है कि 2017 के वित्तीय वर्ष के मुकाबले 2018-19 के वित्तीय वर्ष में देश के सात बड़ी राष्ट्रीय पार्टियों को 481.77 करोड़ ज्यादा चंदा इस वित्तीय वर्ष में मिला. यानि अगर तुलनात्मक रूप से बीते वित्त वर्ष के मुकाबले देखे हैं तो राजनीतिक पार्टियों को 103 गुना ज्यादा चंदा 2018-19 के वित्तीय वर्ष में मिला.

धन राशि के हिसाब से बीजेपी के दान में 305.11 करोड़ की बढ़ोतरी हुई यानी 70 फ़ीसदी ज़्यादा की, वहीं 2017-18 के दौरान पार्टी ने 437.04 करोड़ रुपए घोषित किया था. जो कि 2018-19 में बढ़कर 742,10,15 करोड़ हो गया है जबकि पार्टी का दान वित्तीय वर्ष 2016-17 की तुलना में 2017-18 के दौरान 18 फ़ीसदी कम था.

वहीं कांग्रेस ने वित्तीय वर्ष 2017-18 के दौरान 26.658 करोड़ का दान घोषित किया था जो वित्तीय वर्ष 2018-19 में 457 फ़ीसदी बढ़कर 148.58 करोड़ हो गया जबकि पार्टी का दान वित्तीय वर्ष दो हजार सोलह सत्रह की तुलना में दो हजार सत्रह अट्ठारह के दौरान 36 फ़ीसदी कम था.

चुनाव आयोग ने राजनीतिक दलों द्वारा जमा किए गए चंदे के ब्यौरा से एडीआर ने दानदाताओं द्वारा घोषित किए गए पते से राष्ट्रीय दलों का राज्यवार विवरण किया है जिसमें एक तस्वीर बिल्कुल साफ है कि राष्ट्रीय दलों को महाराष्ट्र से कुल 548.22 करोड रुपए दो हजार अट्ठारह उन्नीस के वित्तीय वर्ष के दौरान चंदे के रूप में मिले हैं, वहीं दिल्ली से 141.42 करोड रुपए और गुजरात से 55.3 एक करोड़ का दाम राजनीतिक पार्टियों को मिला है.

राष्ट्रीय दलों द्वारा अपने दान रिपोर्ट में चंदे की अधूरी जानकारी देने के कारण राजनीतिक दलों के कुल चंदे का 6.92 फीसदी और इसको अगर रुपया के रूप में देखें तो 65.84 करोड़ का दान किसी राज्य संघ शासित प्रदेशों से नहीं जोड़ा जा सकता क्योंकि उनका ब्यौरा ही राजनीतिक पार्टियों ने नहीं दिया.

कॉर्पोरेट दानदाताओं और व्यक्तिगत दानदाताओं का विवरण दो हजार अट्ठारह उन्नीस में राष्ट्रीय दलों को 876.11 करोड रू 1776 corporate दानदाताओं से प्राप्त हुआ है जबकि 71.40 करोड़ का दान 3509 व्यक्तिगत दानदाताओं से मिला है. बीजेपी को 1575 कॉर्पोरेट दानदाताओं से 698.09 करोड रुपए मिले जबकि 2741 व्यक्तिगत दानदाताओं से 41.70 करोड़ रुपए का दान प्राप्त हुआ.

वहीं कांग्रेस को 122 कॉर्पोरेट दानदाताओं से 122.50 करोड रुपए का चंदा मिला जबकि 482 व्यक्तिगत दानदाताओं से 25.3 9 करोड़ का दान मिला. सबसे टॉप के दो दानदाता 2018 19 वित्तीय वर्ष के दौरान progressive electoral trust ने बीजेपी कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस को कुल 455.15 करोड रुपए का दान दिया यह ट्रस्टी 3 दिनों के सिर्फ दो दानदाताओं में से एक है प्रोग्रेस लोकल ट्रस्ट ने बीजेपी को जहां 356.53 करोड रुपए चंदे के रूप में दिए वहीं कांग्रेस को 55.6 दोनों करो रुपए कदम दिया तृणमूल कांग्रेस के लिए 42.98 करोड़ रुपए का चंदा भी इसी ट्रस्ट की तरफ से इस वित्तीय वर्ष के दौरान दिया गया. बीजेपी और कांग्रेस को प्रूडेंट इलेक्ट्रॉल ट्रस्ट से 67.25 करोड रुपए बीजेपी को जबकि ₹39 करोड़ कांग्रेस को चंदे के रूप में मिले.

एडीआर ने अपने एनालिसिस में पाया कि 7 राष्ट्रीय दलों में से चार दलों ने जिनमें बीजेपी कांग्रेस सीपीआई और सीपीएम ने चंदे का जो ब्यौरा दिया है उनमें 1310013 सौ दानदाताओं का पैन का विवरण नहीं दिया है. जबकि इनसे इन पार्टियों को 29.44 करोड़ रू का चंदा मिला है.

वहीं वित्तीय वर्ष दो हजार सत्रह अट्ठारह की तुलना में इस वर्ष राष्ट्रीय दलों द्वारा घोषित इस तरह के दान का प्रतिशत 5 गुना ज्यादा है. बीजेपी ने जहां अपने 1170 दानदाताओं का पैन का विवरण नहीं दिया है वहीं कांग्रेस ने बिना पेन के 28 दानों से 92.80 लाख रुपए एकत्रित किए.

सीपीआई ने 81 दानदाताओं के पेन का विवरण नहीं दिया है, जिनसे उसको 1.8 करोड़ रुपए मिले वहीं सीपीएम ने भी इस दानदाताओं के पैन का ब्यौरा नहीं दिया है जिससे उसको चंदे के रूप में 10.78 लाखों पर मिले हैं.

कुल मिलाकर आप कह सकते हैं कि तमाम नियम कानून कायदे बनाने के बावजूद राजनीतिक पार्टियां पारदर्शिता बरतने से अभी भी बच रही है. लेकिन फिर भी अच्छी बात यह है कि कम से कम हर साल राजनीतिक पार्टियों को अपने चंदे का ब्यौरा चुनाव आयोग को देना होता है जिससे भले ही सारी जानकारी जनता के सामने ना आ पाए लेकिन एक बड़ी तस्वीर जरूर जनता के सामने जरूर आ जाती है कि आखिर किस पार्टी को कितना चंदा मिल रहा है.