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New Delhi
गंभीर अापराधिक मामलों के आरोपियों को चुनाव लड़ने से रोका जाए, इसके लिए दायर पिटीशन पर सुप्रीम कोर्ट जल्द सुनवाई के लिए तैयार हो गया है। गुरुवार को कोर्ट ने 5 जजों की स्पेशल बेंच बनाई है। संभव है कि 5 राज्यों में इलेक्शन को देखते हुए कोर्ट कोई अहम फैसला दे। एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) के मुताबिक, पिछले इलेक्शन में यूपी के 24% विधायक गंभीर मामलों में आरोपी हैं। पिछले इलेक्शन में कितने दागी MLA बने...
उत्तर प्रदेश:
- 2012 इलेक्शन में दायर हलफनामों के मुताबिक, 403 में से 189 (47%) विधायकों के खिलाफ आपराधिक मामले चल रहे हैं। जिनमें से 98 (24%) पर गंभीर केस हैं।
- दागियों में सपा के सबसे ज्यादा 111, बीएसपी के 29, बीजेपी के 25, कांग्रेस के 13 और 11 अन्य पार्टियों के विधायक हैं। 
- 10 विधायकों पर अति गंभीर आपराधिक मामले चल रहे हैं।
पंजाब:
- 2012 इलेक्शन में दायर हलफनामों के मुताबिक, 117 में से 22 (19%) विधायकों के खिलाफ आपराधिक मामले चल रहे हैं। जिनमें से 8 (7%) पर गंभीर केस हैं।
- दागियों में कांग्रेस के सबसे ज्यादा 11, अकाली दल के 9 और 2 निर्दलीय विधायक हैं। 
- 4 विधायकों पर अति गंभीर आपराधिक मामले चल रहे हैं।
कोर्ट ने कहा था- चुनाव एक सेक्युलर प्रॉसेस
- कुछ दिन पहले सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि नेता धर्म, जाति और संप्रदाय के नाम पर वोट नहीं मांग सकते। ये गैर कानूनी है।
- सुप्रीम कोर्ट ने हिंदुत्व के मुद्दे पर दायर कई पिटीशन्स पर सोमवार को सुनवाई करते हुए कहा था कि धर्म, जाति और संप्रदाय के नाम पर नेता वोट नहीं मांग सकते। चुनाव एक सेक्युलर प्रॉसेस है और इसका पालन किया जाना चाहिए।
- कोर्ट ने यह भी कहा था कि इंसान और भगवान के बीच रिश्ता अपनी निजी पसंद का मामला है। सरकार को इससे खुद को अलग रखना चाहिए।
- हिंदुत्व के मसले पर दायर पिटीशन पर पूर्व चीफ जस्टिस टीएस ठाकुर की अगुआई में जस्टिस एमबी लोकुर, जस्टिस एनएल राव, जस्टिस एसए बोबड़े, जस्टिस यूयू ललित, जस्टिस एके गोयल और जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की बेंच ने सुनवाई की थी।
- चीफ जस्टिस समेत 4 जजों ने धर्म, भाषा, संप्रदाय और जाति के नाम पर वोट मांगने को करप्ट प्रैक्टिस माना था।
- जस्टिस टीएस ठाकुर, जस्टिस मदन बी लोकुर, एल नागेश्वर राव और एसए बोबड़े इस फैसले पर राजी थे। जबकि बेंच के 3 जज जस्टिस यूयू ललित, जस्टिस आदर्श गोयल और जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ इसके विरोध में थे।
क्या होगा इस फैसले का असर?
- अगले दो महीने में उत्तर प्रदेश, पंजाब, उत्तराखंड, मणिपुर और गोवा में चुनाव हैं। यहां सीधे तौर पर इसका असर पड़ेगा। 
- किसी भी चुनाव में अब कोई भी नेता, उम्मीदवार या एजेंट धर्म, जाति या संप्रदाय को लेकर लोगों से वोट नहीं मांग पाएगा।