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ADR ने देश की पंजीकृत गैर मान्यता प्राप्त दलों से जुड़ी एक रिपोर्ट रिलीज़ की है. जिसके अनुसार वित्तीय वर्ष 2017-18 और वित्तीय वर्ष 2018-19 के लिए पंजीकृत गैर-मान्यता प्राप्त दलों में से केवल 0.96% ने ही EIC (इलेक्शन कमिशन ऑफ़ इंडिया) में अपने अंशदान की जानकारी दर्ज की. ‘अंशदान की जानकारी’ मतलब उन्हें कितना चंदा या दान मिला, इसकी जानकारी. जिन पार्टियों को लेकर ये रिपोर्ट बनाई गई है, उनमें से केवल 22 पार्टियों ने ही दोनों वर्षों के लिए अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की है. आइए जानते हैं कि ADR की इस रिपोर्ट में और क्या-क्या है और ये ADR क्या है जिसने ये रिपोर्ट ज़ारी की है.

# मान्यता प्राप्त और ग़ैर मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल-

चुनाव आयोग के अनुसार भारत में पंजीकृत राजनीतिक दल दो तरह के होते हैं. मान्यता प्राप्त और ग़ैर मान्यता प्राप्त.

फिर मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल भी तो तरह के होते हैं: राष्ट्रीय दल और राज्य स्तरीय दल. कोई पार्टी राज्य या राष्ट्रीय स्तर की मान्यता प्राप्त राजनीतिक पार्टी कैसे बनेगी इसके लिए चुनाव आयोग के अपने नियम हैं. इसके लिए पार्टी को पिछले विधानसभा या लोकसभा चुनावों में एक निश्चित न्यूनतम मतदान प्रतिशत या मान्य वोट पाने होते हैं या फिर कुछ सीटें जीतनी होती हैं.

# भारत में ग़ैर मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों की संख्या-

चुनाव आयोग की 15 मार्च, 2019 की अधिसूचना के अनुसार, आयोग के साथ कुल 2,360 राजनीतिक दल पंजीकृत हैं. इनमें से 2,301 या 97.50% पंजीकृत राजनीतिक दल ‘ग़ैर मान्यता प्राप्त’ हैं. ‘ग़ैर मान्यता प्राप्त’ मतलब, या तो ये नए पंजीकृत दल हैं. या फिर इन पार्टियों ने कभी भी चुनाव नहीं लड़ा. या फिर चुनाव लड़ा भी तो इतने वोट या इतनी सीटें नहीं जुटाईं कि राज्य पार्टी का भी तमग़ा हासिल कर सकें.

# ग़ैर मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों द्वारा घोषित दान का विश्लेषण (वित्तीय वर्ष 2017-18 और FY 2018-19)-

ADR की इस रिपोर्ट में, जैसा इस रिपोर्ट के नाम से ही पता चलता है, वित्तीय वर्ष 2017-18 और FY 2018-19 के लिए ग़ैर मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों द्वारा घोषित दान का विश्लेषण किया गया है. और कुछ महत्वपूर्ण चीज़ें को बताई गई हैं, वो इस प्रकार हैं-

# पंजीकृत गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों की संख्या में पिछले 10 वर्षों में दो गुना वृद्धि हुई है. 2010 में इनकी संख्या 1,112 थी. 2019 में यह संख्या 2,301 तक पहुंच गई है. जिन वर्षों में देश में संसदीय चुनाव होते हैं, उन वर्षों के दौरान इन पार्टियों की संख्या में अभूतपूर्ण वृद्धि होती है. 2018 और 2019 के बीच, इसमें 9.8% की वृद्धि हुई, जबकि 2013 और 2014 के बीच, इसमें 18% की वृद्धि हुई.

# वित्तीय वर्ष 2018-19 के लिए कुल 2,301 पंजीकृत गैर मान्यता प्राप्त दलों में से केवल 78 दलों की अंशदान रिपोर्ट सार्वजनिक रूप से में उपलब्ध है. मतलब कुल पंजीकृत गैर मान्यता प्राप्त दलों में से 3.39% दलों की. वित्तीय वर्ष 2017-18 के लिए केवल 82 या 3.5% पार्टियों के लिए ही ये रिपोर्ट सार्वजनिक रूप से में उपलब्ध है.

# वित्त वर्ष 2017-18 के दौरान, कुल पंजीकृत गैर-मान्यता प्राप्त दलों के केवल 39 या 1.69% ने अपने अंशदान की रिपोर्ट नियत तारीख से पहले प्रस्तुत की. 41 पंजीकृत गैर-मान्यता प्राप्त दलों की अंशदान रिपोर्ट नियत तारीख के बाद उपलब्ध हुई थी. सबसे लेट में अपनी रिपोर्ट उपलब्ध कराने वाले दल ने नियत समय बीत जाने के 514 दिनों बाद अपनी रिपोर्ट जमा की थी.

# जिन 138 दलों का ADR ने विश्लेषण किया था, उसमें से वित्त वर्ष 2017-18 के लिए 56 पार्टियों की अंशदान रिपोर्ट CEO (मुख्य निर्वाचन अधिकारी) की वेबसाइट पर अनुपलब्ध थीं. वित्त वर्ष 2018-19 के लिए 60 पार्टियों की अंशदान रिपोर्ट CEO (मुख्य निर्वाचन अधिकारी) की वेबसाइट पर अनुपलब्ध थीं. ADR के अनुसार ये स्टेट्स उनकी रिपोर्ट को पब्लिश करने तक का था. जिन पंजीकृत गैर-मान्यता प्राप्त दलों ने अपनी रिपोर्ट सार्वजनिक की थी उसमें से, वित्त वर्ष 2018-19 के दौरान 65.45 करोड़ रुपये के कुल 6,860 डोनेशंस हुए. और वित्त वर्ष 2017-18 के दौरान 24.6 करोड़ रुपये के कुल 6,138 डोनेशंस हुए. मतलब दो वर्षों में इन पार्टियों ने 12,998 डोनेशंस पाए और कुल 90.05 करोड़ रुपये का दान प्राप्त किया.

# वित्त वर्ष 2018-19 में केवल 1.65% या 38 दलों ने समय पर अपनी अंशदान रिपोर्ट प्रस्तुत की. 40 पंजीकृत गैर-मान्यता प्राप्त दलों की अंशदान रिपोर्ट नियत तारीख के बाद उपलब्ध हुई थी. सबसे लेट में अपनी रिपोर्ट उपलब्ध कराने वाले दल ने नियत समय बीत जाने के 393 दिनों बाद अपनी रिपोर्ट जमा की थी.

# उत्तर प्रदेश की ‘अपना देश’ पार्टी ने वित्तीय वर्ष 2017-18 और 2018-19 में कुल मिलाकर 65.63 करोड़ का अंशदान प्राप्त किया. जो कि सभी पंजीकृत गैर-मान्यता प्राप्त दलों द्वारा घोषित किए गए दान का 72.88% है. बताने की ज़रूरत नहीं कि ये घोषित दान में सर्वाधिक है.

# जैसा आपको शुरू में बताया था कि पंजीकृत गैर मान्यता प्राप्त दलों में से केवल 0.96% ने ही वित्त वर्ष 2017-18 और 2018-19 के लिए EIC (इलेक्शन कमिशन ऑफ़ इंडिया) में अपनी अंशदान की जानकारी दर्ज की. जिन पार्टियों को लेकर ये रिपोर्ट बनाई गई है, उनमें से केवल 22 पार्टियों ने ही दोनों वर्षों के लिए अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की है.

# ADR जिस वक्त इस रिपोर्ट को तैयार कर रही थी, उस वक्त तक 16 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों की CEO वेबसाइट पर पंजीकृत गैर मान्यता प्राप्त दलों की अंशदान रिपोर्ट का को टैब या लिंक उपलब्ध नहीं था. इन 16 राज्यों में केरल, ओडिशा, पंजाब और उत्तराखंड जैसे राज्य शामिल थे.

# कई दलों की अंशदान रिपोर्ट में, आधिकारिक मुहर नहीं दिखी. कई रिपोर्ट्स में ये नहीं लिखा गया था कि रिपोर्ट प्रस्तुत कब की गई है.

# किसने ज़ारी की है ये रिपोर्ट-

अब अंत में ये भी जान लीजिए कि जिसने रिपोर्ट प्रकाशित की है वो ADR, दरअसल है क्या?

ADR. फुल फ़ॉर्म, ‘एसोसिएशन फ़ॉर डेमोक्रेटिक रिफ़ॉर्म्स’. 1999 में IIM अहमदाबाद के कुछ प्रोफ़ेसर्स ने मिलकर बनाई. इस संस्था ने अपनी वेबसाईट में साफ़-साफ़ अपना उद्देश्य लिखा है कि हमारा लक्ष्य चुनावी और राजनीतिक सुधारों के क्षेत्र में निरंतर काम करके शासन में सुधार करना और लोकतंत्र को मजबूत करना है.

चूंकि, इस क्षेत्र में काम करने का दायरा बहुत बड़ा है. इसलिए, ADR ने देश की राजनीतिक प्रणाली से संबंधित निम्नलिखित क्षेत्रों में अपने प्रयासों को केंद्रित करने के लिए चुना है:

# राजनीतिक प्रक्रिया में भ्रष्टाचार और अपराधीकरण.

# उम्मीदवारों और पार्टियों से संबंधित जानकारी का अधिक से अधिक प्रसार. जिससे मतदाताओं को बेहतर और जानकरीपूर्ण विकल्प उपलब्ध हों. और मतदाताओं का सशक्तिकरण हो.

# राजनीतिक दलों की अधिक से अधिक जवाबदेही.

# पार्टियों के अंदर के लोकतंत्र और पार्टी के कामकाज में पारदर्शिता.