देशभर में होने वाले सांप्रदायिक दंगों के पीछे कारण होता है नफरत का फैलना, जब एक समुदाय के भीतर दूसरे समुदाय के लिए नफरत पैदा हो जाती है तो लोग एक दूसरे के खून के प्यासे हो जाते हैं. हाल के दिनों में फेक न्यूज नफरत फैलाने का नया हथियार बनकर सामने आया है. लेकिन आम लोगों में इतनी नफरत फैलती कैसे है, लोग कैसे अपने दिमाग से सोचने की जगह सुनी सुनाई बातों पर लड़ाई झगड़ा करने के लिए तैयार हो जाते हैं. अक्सर इसके लिए नेताओं को दोषी ठहराया जाता है कि नेता लोग नफरत भरे भाषण देते हैं जिससे जनता में उन्माद पैदा होता है. अब एक नई रिपोर्ट में भी इस बात को बल मिला है.
देश में चुनावी व्यवस्था पर लगातार रिसर्च करने वाली संस्था एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि देश के 58 सांसदों और विधायकों पर नफरत फैलाने वाले भाषण देने के मामले दर्ज हैं. ये बात नेताओं ने खुद कबूल की है. एडीआर के मुताबिक इनमें बीजेपी के नेताओं की संख्या सबसे ज्यादा है. एडीआर की रिपोर्ट के मुताबिक, ‘‘लोकसभा के 15 मौजूदा सदस्यों ने अपने खिलाफ नफरत फैलाने वाले भाषण को लेकर मामला दर्ज होने की बात कबूल की है. हालांकि राज्यसभा के किसी भी सदस्य ने अपनी घोषणा में इसका उल्लेख नहीं किया है.’’
रिपोर्ट के मुताबिक इन लोकसभा सदस्यों में दस बीजेपी के और एक-एक का संबंध ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (एआईयूडीएफ), तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस), पीएमके, एआईएमआईएम और शिवसेना से है. एडीआर की रिपोर्ट में कहा गया है कि भाजपा के 27, ऑल इंडिया मजलिस- ए- इत्तेहादुल मुसलमीन (AIMIM) और टीआरएस के छह-छह, तेदेपा एवं शिवसेना के तीन-तीन, एआईटीसी, आईएनसी, जदयू के दो-दो, एआईयूडीएफ, बसपा, द्रमुक, पीएमके और सपा के एक-एक सांसदों एवं विधायकों पर इससे जुड़े मामले दर्ज हैं.
इस सूची में दो निर्दलीय सांसद एवं विधायक भी शामिल हैं. एडीआर ने कहा है कि असदुद्दीन ओवैसी (एआईएमआईएम) और बदरुद्दीन अजमल (एआईयूडीएफ) जैसे नेताओं ने अपनी घोषणा में इससे संबंधित मामला दर्ज होने की बात कही है. रिपोर्ट में कहा गया है कि केंद्रीय पेयजल एवं स्वच्छता मंत्री उमा भारती ने भी अपने खिलाफ इससे जुड़ा मामला दर्ज होने का उल्लेख किया है. इसके अलावा आठ राज्य मंत्रियों के खिलाफ भी नफरत फैलाने वाले भाषण देने का मामला दर्ज है.