बिहार में मंत्रिमंडल विस्तार के बाद एक बार फिर एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स और बिहार इलेक्शन वॉच ने चौकाने वाला रिपोर्ट जारी किया है. एडीआर की रिपोर्ट के मुताबिक बिहार में 93 फ़ीसदी मंत्री करोड़पति हैं. नीतीश कैबिनेट में शामिल 28 मंत्रियों की औसत संपत्ति की बात की जाए तो यह चार करोड़ से ज्यादा है. राज्य कैबिनेट में शामिल 64 फ़ीसदी मंत्रियों पर आपराधिक मामले दर्ज हैं. लेकिन अगर गंभीर आपराधिक मामलों की बात करें तो 50 फ़ीसदी मंत्री यानी लगभग 14 मंत्रियों पर गंभीर आपराधिक मामले हैं. अपराधिक मामलों के पैमाने पर बीजेपी के 57 फीसदी और जेडीयू के 27 फ़ीसदी मंत्रियों के ऊपर गंभीर अपराधिक मामले हैं. हम और वीआईपी के मंत्रियों के ऊपर भी गंभीर अपराधिक मामले दर्ज हैं.
एडीआर की रिपोर्ट में यह बताया गया है कि सबसे अधिक संपत्ति मंत्री संजय कुमार झा ने घोषित की है. उन्होंने 22.37 करोड रुपए की संपत्ति घोषित की है. जबकि नीतीश कैबिनेट में सबसे कम संपत्ति मंत्री जमा खान की है, उनके पास 30 लाख से थोड़ी ज्यादा संपत्ति है. इसके बारे में उन्होंने हलफनामे में जानकारी दी है. इसके अलावा 20 मंत्रियों ने देनदारी भी घोषित की है, इसमें मुकेश साहनी के ऊपर सबसे ज्यादा 1.54 करोड़ रुपए की देनदारी शामिल है. एडीआर की रिपोर्ट में यह बताया गया है कि बिहार के आम लोगों की वार्षिक औसत आय 50735 रुपये है, जबकि मंत्री करोड़पति हैं.
हालांकि एजुकेशन के मामले में नीतीश कैबिनेट के मंत्रियों का असर काफी अच्छा है. राज्य के 57 फ़ीसदी मंत्री स्नातक या फिर उससे ऊपर की डिग्री हासिल कर चुके हैं. जबकि उन 40 फ़ीसदी मंत्री आठवीं से दसवीं तक की शिक्षा हासिल करने वाले हैं.