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Source
Dainik Bhaskar
https://www.bhaskar.com/national/news/3077-crore-income-of-national-parties-in-2022-23-132650161.html
Date
City
New Delhi

एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) ने बुधवार को बताया कि देश की 6 नेशनल पार्टियों ने वित्त वर्ष 2022-23 में अपनी कुल आय लगभग 3077 करोड़ रुपए घोषित की है। इसमें भाजपा का हिस्सा सबसे ज्यादा है।

भाजपा के पास लगभग 2361 करोड़ रुपए हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, भाजपा की आय छह राष्ट्रीय दलों की कुल आय का 76.73 प्रतिशत है।

कांग्रेस 452.375 करोड़ रुपए की आय के साथ दूसरी सबसे बड़ी पार्टी है। कांग्रेस के पास कुल आय का 14.70 प्रतिशत है। भाजपा और कांग्रेस के अलावा BSP, AAP, एनपीपी और CPI-M ने अपनी आय घोषित की है।

भाजपा की इनकम 443 करोड़ रुपए बढ़ी
ADR के मुताबिक भाजपा की आय वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान 1917.12 करोड़ रुपए से 23.15 प्रतिशत या 443.724 करोड़ रुपए बढ़कर वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान 2360.844 करोड़ रुपए हो गई।

वहीं NPP (नेशनल पीपुल्स पार्टी) की आय वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान 47.20 लाख रुपए से 1502.12 प्रतिशत या 7.09 करोड़ रुपए बढ़कर वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान 7.5 करोड़ रुपए हो गई।

इसी तरह AAP की आय वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान 44.539 करोड़ रुपए से 91.23 प्रतिशत (40.631 करोड़ रुपए) बढ़कर वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान 85.17 करोड़ रुपए हो गई।

कांग्रेस सहित तीन पार्टियों की इनकम घटी
वित्त वर्ष 2021-22 और वित्त वर्ष 2022-23 के बीच कांग्रेस, CPI (M) और BSP की आय में क्रमश: 16.42 फीसदी (88.90 करोड़ रुपए), 12.68 फीसदी (20.575 करोड़ रुपए) और 33.14 फीसदी (14.508 करोड़ रुपए) की कमी आई है।

कांग्रेस और AAP ने इनकम से ज्यादा खर्च किए
भाजपा ने वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान कुल आय 2360.844 करोड़ रुपए घोषित की, लेकिन केवल 57.68 प्रतिशत खर्च किया, जो कुल आय का 1361.684 करोड़ रुपए है।

कांग्रेस की कुल आय 452.375 करोड़ रुपए थी, जबकि उसने 467.135 करोड़ रुपए खर्च किए, उस वर्ष उसका खर्च उसकी कुल आय से 3.26 प्रतिशत अधिक था।

CPI (M) की कुल आय 141.661 करोड़ रुपए थी जबकि उसने 106.067 करोड़ रुपए खर्च किए, जो उसकी आय का 74.87 प्रतिशत था।

इसी तरह, AAP की कुल आय 85.17 करोड़ रुपए थी, जबकि उसने 102.051 करोड़ रुपए खर्च किए। ये रकम पार्टी की कुल आय से 19.82 प्रतिशत अधिक थी।

लोकसभा चुनाव से कुछ महीने पहले सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को 6 साल पुरानी इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा- ये स्कीम असंवैधानिक है। बॉन्ड की गोपनीयता बनाए रखना असंवैधानिक है। यह स्कीम सूचना के अधिकार का उल्लंघन है। अब13 मार्च को पता चलेगा किस पार्टी को किसने, कितना चंदा दिया।

इलेक्टोरल बॉन्ड से पार्टियों का चंदा 10 गुना बढ़ा: सीक्रेट रूट से कॉरपोरेट फंडिंग, 77% चंदा इसी से मिल रहा

सियासी चंदे के लिए इलेक्टोरल बॉन्ड का सीक्रेट रूट कॉरपोरेट्स को भा रहा है। इसके दो कारण हैं, पहला-बॉन्ड में दानदाता की पहचान गुप्त रहती है। दूसरा- चंदे की रकम की कोई सीमा नहीं है।2018 में इलेक्टोरल बॉन्ड आने के बाद से राजनीतिक पार्टियों को चंदे की लगभग 77% रकम इसी से मिल रही है। चेक और डोनेशन के बाकी खुले रास्तों से चंदा लगातार कम हो रहा है।