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Date: 
08.02.2018
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विधानसभा आम चुनाव से पहले बसपा की आय में बंपर इजाफा हुआ। नवंबर 2016 में हुई नोटबंदी का भी असर बसपा पर नहीं पड़ा। जहां पार्टी की 2015-16 की कुल आय 47.385 करोड़ थी वहीं 2016-17 में यह बढ़कर 173.58 करोड़ रुपये हो गई। बुधवार को इलेक्शन वॉच की ओर से जारी रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ है। चुनाव सुधार के लिए काम करने वाली संस्था एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म (एडीआर) ने चुनाव आयोग को सौंपे गए आय-व्यय के ब्यौरे का विश्लेषण किया है। Read This - कितने नेताआें के बच्चे पकौड़े बेंचने का काम कर रहे हैं? एडीआर की रिपोर्ट बताती है कि मायावती की अगुवाई वाली बसपा पर नोटबंदी का भी असर नहीं हुआ। उसे विधानसभा चुनाव में जमकर चंदा मिला। लेकिन खर्च सिर्फ 30 प्रतिशत ही किया। साल 2016 की शुरुआत में बसपा की कुल आय जहां 47.385 करोड़ रुपये थी वहीं वित्तीय वर्ष बीतते बीतते यह आय पौने दो सौ करोड़ रुपये के करीब पहुंच गई। चुनाव के दौरान मायावती का कुल खर्च 51.83 करोड़ रुपये ही रहा। दूसरे नंबर पर सीपीएम, एनसीपी सात करोड़ के घाटे में दूसरे नंबर पर सीपीएम है जिसकी आय 2016-17 में 100.256 करोड़ रुपये रही और खर्च 94.056 करोड़ रुपये रहा। एनसीपी की आय 17.235 करोड़ रुपये रही और खर्च 24.967 करोड़ हुआ। यानी एनसीपी सात करोड़ रुपये के घाटे में रही। सबसे ज्यादा घाटे में रही तृणमूल कांग्रेस सबसे ज्यादा घाटा ममता बनर्जी की ऑल इंडिया तृणमूल कांग्रेस को उठाना पड़ा। ममता की पार्टी की इनकम 6.39 करोड़ थी और खर्च 24.26 करोड़ रुपये हुआ। यानी ममता बनर्जी का खर्च 17.87 करोड़ रुपये आय से अधिक रहा। ममता बनर्जी की 2015-16 में आय 34.578 करोड़ रुपये थी। भाजपा-कांग्रेस ने ब्यौरा ही नहीं दिया इस विश्लेषण में विवरण देने वाली पांच राष्ट्रीय पार्टियां शामिल हैं जिन्होंने अपना आय व्यय का विवरण दिया था। भाजपा और कांग्रेस ने अपना ब्यौरा चुनाव आयोग को नहीं दिया है।

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