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लोकसभा चुनाव से पहले मोदी सरकार आतंकियों को घर में घुसकर मारने का दावा कर रही है विपक्ष सबूत मांग रहा है. विपक्ष राफेल पर संसद से सड़क तक मोदी सरकार को घेर रह है, सरकार दस्तावेजों को चोरी करवा रही है. टीवी डिबेट में पक्ष और विपक्ष के नेता आपस में गाली गलौच कर रहे हैं.

चाहे जितना भी मुद्दे से भटक लिया जाए आखिरकार बेरोजगारी अब भी सबसे बड़ी समस्या बनी हुई है जिसे सरकार छिपा रही है और विपक्ष भी कहीं ना कहीं इस मुद्दे पर सरकार का ही साथ देता नज़र आ रहा है. इसी बीच एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) ने एक राष्ट्रीय सर्वे किया है. यह सर्वे 31 मुद्दों पर देश की 534 लोकसभा सीटों के 2.73 लाख मतदाताओं पर किया गया है. सर्वे अक्टूबर 2018 से दिसंबर 2018 के बीच कराया गया था.

एडीआर सर्वे – देश के 10 सबसे बड़े मुद्दे

करीब पौने तीन लाख लोगों के बीच किए गए सर्वे में मतदाता से पूछा गया कि आपके लिए सबसे बड़ा मुद्दा कौन सा है. लोगों ने प्राथमिकता के अनुसार इन मुद्दों को चुना.

रोजगार- 46.80%

स्वास्थ्य सेवाएं- 34.60%
पेयजल- 30.50%

अच्छी सड़कें- 28.34%

अच्छा परिवहन- 27.35%

सिंचाई के लिए पानी- 26.40%

खेती के लिए लोन- 25.62%

फार्म उत्पादों की सही कीमत- 25.41%

बीजों-खाद कीमतों पर राहत- 25.06%

बेहतर कानून व्यवस्था- 23.95%

गांव और शहर दोनों की सबसे बड़ी जरूरत नौकरी है

सर्वे में यह स्पष्ट है कि देश के ग्रामीण इलाके हो या शहरी, दोनों ही जगहों पर रोजगार सबसे बड़ा मुद्दा है. सबसे बड़ी मांग है. नौकरी की सबसे ज्यादा मांग शहरी इलाकों और ओबीसी वर्ग की है. शहरों के 51.60% वोटर और ओबीसी वर्ग के 50.32% वोटरों के बीच सबसे ज्यादा मांग नौकरी है. 23 से 40 उम्र वाले 47.49% मतदाता को रोजगार की जरूरत है.

सही सेहत और अच्छी स्वास्थ्य सेवाएं दूसरी बड़ी मांग

सर्वे में शामिल 534 लोकसभा सीट के मतदाताओं की दूसरी सबसे बड़ी मांग है सही सेहत और अच्छी स्वास्थ्य सेवाएं. देश के 34.60% मतदाता इसे बेहद जरूरी मानते हैं. शहरी इलाकों के 39.41% लोगों ने इसे बेहद जरूरी माना है.

30.50% वोटर साफ पेयजल को मानते हैं तीसरा बड़ा मुद्दा

30.50% वोटर साफ पेयजल को तीसरा सबसे बड़ा मुद्दा मानते हैं. सबसे बड़ी दिक्कत शहरी इलाकों में देखने को मिल रही है. इसीलिए 35.03% शहरी मतदाताओं ने इसे बड़ा मुद्दा माना है. हालांकि, ग्रामीण इलाकों के 28.05% मतदाताओं ने ही इस पर सहमति जताई है.

रोजी, सेहत और पानी के लिए महिला और पुरुष दोनों की सोच एक

महिला एवं पुरुष मतदाता रोजी, सेहत और पानी के मुद्दे पर लगभग एक बराबर सोचते हैं. इन तीनों प्रमुख मुद्दों पर एक बराबर सोचने वाले महिला एवं पुरुष मतदाताओं की संख्या में ज्यादा अंतर नहीं है. रोजगार के लिए 48.05% पुरुष और 46.61% महिलाएं एक समान सोचती हैं. अच्छी स्वास्थ्य सेवाओं के लिए महिलाओं की संख्या पुरुषों के आगे हैं. ये है – 35.29% महिलाएं व 34.29% पुरुष. साफ पानी के लिए भी ऐसी ही हालत है. पानी के लिए 31.69% महिला और 30.91% पुरुष मतदाताओं ने वोट किया.