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25.03.2019
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गैर सरकारी संगठन एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉम्र्स के एक मतदाता सर्वेक्षण में सरकार के प्रदर्शन को लेकर मतदाताओं का असंतोष स्पष्ट दिखाई पड़ रहा है। इस सर्वेक्षण में नौकरी, स्वास्थ्य सुविधा प्रदान करने और पेयजल सहित कई प्रमुख मुद्दों पर रायशुमारी की गई थी। उपरोक्त तीनों प्रमुख मुद्दों के बारे में मतदाताओं की औसत रेटिंग 2.15 से लेकर 2.55 के बीच है जो कि सरकार के औसत से कम प्रदर्शन को दिखाता है। प्राथमिकता वाले अन्य मुद्दों में बेहतर सड़कें और जन परिवहन, कृषि मामले और कानून व्यवस्था को शामिल किया गया था। इन संकेतकों पर भी सरकार का प्रदर्शन काफी खराब रहा।
 
यह सर्वेक्षण अक्टूबर-दिसंबर 2018 के बीच देश की 534 लोकसभा सीटों पर कराया गया था। सर्वेक्षण में कुल 2.7 लाख लोगों ने प्रतिक्रिया दी है। इनमें से 46.8 फीसदी लोगों ने नौकरी को अपनी पहली प्राथमिकता बताया है। अन्य 34.6 फीसदी लोगों ने स्वास्थ्य देखभाल को शीर्ष प्रमुखता दी। तीसरे स्थान पर पेयजल रहा जिसे 30.5 फीसदी लोगों ने तरजीही मुद्दा माना है।  सर्वेक्षण में कहा गया है, 'मतदाताओं के शीर्ष 10 प्रमुख मुद्दों पर सरकार का प्रदर्शन औसत से नीचे रहा। रोजगार के बेहतर अवसर जिसे सबसे अधिक मतदाताओं ने पहली प्राथमिकता दी है, पर सरकार का प्रदर्शन सबसे अधिक निराश करने वाले मुद्दों में से एक रहा। इसे 5 तक के पैमाने पर 2.15 रेटिंग मिली शहरी एवं ग्रामीण दोनों तरह के मतदाताओं की सूची में रक्षा और सैन्य मामले सबसे नीचे रहे। कुल 44.21 फीसदी ग्रामीण मतदाताओं ने नौकरी के बेहतर अवसर को अपनी सबसे बड़ी जरूरत बताया। 3.02 फीसदी ग्रामीण मतदाताओं के लिए मजबूत सैन्य शक्ति प्राथमिकता वाला मुद्दा है। वहीं आतंकवाद को 3.34 फीसदी मतदाताओं ने अपना प्रमुख मुद्दा माना है।  
 
सैन्य मामले और आंतकवाद को प्रमुख मुद्दा मानने वाले शहरी मतदाताओं की संख्या क्रमश: 5.18 फीसदी और 4.1 फीसदी है। मतदाताओं ने इन दोनों मुद्दों के मामले में सरकार के प्रदर्शन को औसत से कम बताया है। रिपोर्ट कहती है, 'मतदाताओं के शीर्ष 10 मुद्दों से बहुत स्पष्ट है कि भारतीय मतदाता आतंकवाद और मजबूत सैन्य शक्ति सहित सभी तरह के शासकीय मुद्दों से अधिक नौकरी और स्वास्थ्य देखभाल, पेयजल, बेहतर सड़कें जैसी आधारभूत सुविधाओं को तरजीह देते हैं।' गौरतलब है कि यह सर्वेक्षण 14 फरवरी, 2019 को हुए पुलवामा हमले से पहले किया गया था। पुलवामा हमले में विस्फोटक से भरे एक वाहन के केंद्रीय आरक्षित पुलिस बल (सीआरपीएफ) की गाड़ी से टकराने की वजह से 40 जवान शहीद हुए थे। इसके बाद पाकिस्तान से तनाव बढ़ गया था। बदले में सरकार को सैन्य कार्रवाई करनी पड़ी जिससे उस क्षेत्र में तनाव और अधिक बढ़ गया। कुछ पर्यवेक्षकों का मानना है कि इस घटना ने सरकार के पक्ष में माहौल बनाया है। दिलचस्प है कि प्राथमिकता वाले शीर्ष 10 मुद्दों की सूची में कृषि चौथे स्थान पर रहा। इसमें जल की उपलब्धता, कृषि ऋण, कीमत और सब्सिडी से जुड़े मुद्दे सामने आए। एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रटिक रिफॉम्र्स और नैशनल इलेक्शन वाच के संस्थापक रहे जगदीप छोकर ने कहा, 'जमीनी हकीकत यह है कि मतदाता समझते हैं कि कृषि बदहाल है और यह जरूरी है कि इसे इस स्थिति से बाहर निकाला जाए।'
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