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एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) की रिपोर्ट के मुताबिक 28 फीसदी प्रत्याशियों के पास करोड़ों की संपत्ति है. समाजवादी पार्टी की पूनम सिन्हा के पास 193 करोड़ की संपत्ति है जो अन्य प्रत्याशियों की तुलना में सबसे ज्यादा है.

बीजेपी से नाराज होकर कांग्रेस में शामिल हुए शत्रुघ्न सिन्हा की पत्नी पूनम शत्रुघ्न सिन्हा पांचवे चरण की वोटिगं में सबसे धनी प्रत्याशी हैं. इस चरण में 184 प्रत्याशी ऐसे हैं जिनके पास 1 करोड़ से ज्यादा संपत्ति है. इस चुनाव में सबसे ज्यादा धनी प्रत्याशी भारतीय जनता पार्टी(बीजेपी) से चुनाव लड़ रहे हैं.

एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) की रिपोर्ट के मुताबिक 28 फीसदी प्रत्याशियों के पास करोड़ों की संपत्ति है. समाजवादी पार्टी की पूनम शत्रुघ्न सिन्हा के पास 193 करोड़ की संपत्ति है जो सभी प्रत्याशियों की तुलना में सबसे ज्यादा है.

पूनम सिन्हा लखनऊ संसदीय सीट से चुनवा लड़ रही हैं. पूनम सिन्हा के बाद दूसरे सबसे धनी प्रत्याशी विजय कुमार मिश्रा के पास 177 करोड़ की संपत्ति है. विजय कुमार मिश्रा प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) से सीतापुर संसदीय सीट पर चुनाव लड़ रहे हैं. इस लिस्ट में बीजेपी प्रत्याशी जयंत सिंह तीसरे नंबर हैं. उनके पास 77 करोड़ रुपए की संपत्ति है. वे झारखंड के हजारीबाग संसदीय सीट से चुनाव लड़ रहे हैं.

पिछले वित्तीय वर्ष में जयंत सिन्हा इनकम टैक्स रिटर्न भरने वाले सबसे धनी प्रत्याशी थे. उन्होंने अपनी सैलरी 35 लाख बताई थी. उन्होंने दूसरी संपत्तियों में चल-अचल संपत्ति का भी जिक्र किया था. बांदा से समाजवादी पार्टी के श्याम चरण गुप्ता ने सैलरी में 4 करोड़ रुपए और अन्य संपत्तियों का जिक्र किया था. वहीं ज्योति मिर्धा इस लीस्ट में तीसरे नंबर पर थीं जिनके पास 3 करोड़ की संपत्ति थी.

लोकसभा चुनाव 2019 में उतरने वाले सभी प्रत्याशियों की औसत आय लगभग 2.57 करोड़ है. सभी बड़ी राजनीतिक पार्टियों में से 48 बीजेपी प्रत्याशियों के पास औसत आय 6.9 करोड़, कांग्रेस के प्रत्याशियों की 8.74 करोड़, 33 बसपा प्रत्याशियों के पास 3.32 करोड़ की संपत्ति वहीं 9 सपा प्रत्याशियों की औसत आयु 31.57 करोड़ की है.

नेशनल इलेक्शन वॉच और एसोसिएशन फॉर डेमेक्रेटिक रिफॉर्म्स(एडीआर) ने लोकसभा चुनाव 2019 के चुनावी समर में उतरे 668 प्रत्याशियों की ओर से दिए गए हलफनामे में 674 प्रत्याशियों के हलफनामे का अध्ययन किया था. 6 प्रत्याशियों के हलफनामे का अध्ययन इसलिए नहीं हो सका क्योंकि उन्होंने सही ढंग से हलफनामे को स्कैन नहीं किया था.