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अक्टूबर के शुरुआती दस दिनों में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई) ने 400 करोड़ से ज्यादा के इलेक्टोरल बांड जारी किए। दिलचस्प बात यह है कि जुलाई में यह आंकड़ा महज 32 करोड़ था। राजस्थान, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, तेलंगाना और मिजोरम में चुनाव के ठीक पहले इलेक्टोरल बांड के आंकड़ों में बढ़ोतरी मायने रखती है। ये जानकारी एक आरटीआई के जरिए सामने आई है जिसे फैक्टली ने डाला था।  अंग्रेजी अखबार 'द हिंदू' के मुताबिक 1 से 10 अक्टूबर के बीच 401.73 करोड़ रुपये के इलेक्टोरल बांड जारी हुए। जारी हुए बांड ज्यादातर एक करोड़ या उससे ज्यादा के हैं। बिक्री के लिए उपलब्ध 11 शहरों में से 37.5% यानि 150.7 करोड़ रुपये के बांड मुंबई में जारी हुए। दूसरे नंबर पर कोलकाता है जहां से 62.6 करोड़ के इलेक्टोरल बांड जारी हुए।

एसबीआई के आंकड़े बताते हैं कि मार्च में 222 करोड़, अप्रैल में 114.9 करोड़, मई में 101 करोड़ और जुलाई में 32 करोड़ के इलेक्टोरल बांड जारी हुए थे। मार्च-अप्रैल में एक हजार के 17 बांड (2.2%), दस हजार के शून्य , 10 लाख के 450 बांड (58.6%) और एक करोड़ और के 291 बांड (37.9%) जारी हुए। इसी तरह अक्टूबर में भी एक लाख से छोटे बांड की बिक्री कम हुई। अक्टूबर में एक हजार के 0.6%, दस हजार के 2.6%, एक लाख के 5.7%, 10 लाख के 41.6% और एक करोड़ और के 49.3% बांड जारी हुए।

बता दें कि कोई भी दानकर्ता इलेक्टोरल बांड के जरिये राजनीतिक दलों को दान कर सकता है। इन बांड की बिक्री एसबीआई करती है। दानकर्ता को अपनी पूरी जानकारी बैंक को मुहैया करानी होती है। बैंक अपने स्तर पर इस जानकारी को गोपनीय रखता है।

पार्टी अपने आधिकारिक खाते के जरिये इन बांड्स को भुना सकती है। जारी होने की तिथि से 15 दिनों तक यह बांड वैध रहते हैं। इस समय सीमा के बाद बांड जमा करने पर पार्टी को इसका भुगतान नहीं किया जाता।