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 देश की पुरानी और बड़ी राष्ट्रीय पार्टी कांग्रेस एक संकट के दौर से गुजर रही है। लगातार चुनावों में हार से उसके नेताओं में एक हताशा घिर गई है। इसका पता इस बात से भी चलता है कि विगत पांच वर्ष में कांग्रेस के 170 विधायक पार्टी को अलविदा कह दूसरे दलों में शामिल हो गए। नेशनल इलेक्शन वाच और एसोसिएशन फार डेमोक्रेटिकट रिफा‌र्म्स (एडीआर) ने वर्ष 2016-2020 के दौरान हुए चुनावों के समय विधायकों के दिए गए हलफनामे का विश्लेषण किया और पाया कि कांग्रेस के 170 विधायक दूसरे दलों में शामिल हुए जबकि भाजपा के सिर्फ 18 विधायकों ने ही दूसरी पार्टियों का दामन थामा।

एडीआर ने अपनी रिपोर्ट में जानकारी दी कि 2016-2020 के दौरान पाला बदलकर फिर से चुनाव मैदान में उतरने वाले 405 विधायकों में से 182 भाजपा में शामिल हुए तो 28 विधायक कांग्रेस और 25 विधायक तेलंगाना राष्ट्र समिति का हिस्सा बने। रिपोर्ट कहती है कि वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान पांच लोकसभा सदस्य भाजपा को छोड़कर दूसरे दलों में शामिल हुए तो 2016-2020 के दौरान कांग्रेस के सात राज्यसभा सदस्यों ने दूसरी पाíटयों का दामन थामा।एडीआर ने कहा कि उल्लेखनीय बात यह है कि मध्य प्रदेश, मणिपुर, गोवा, अरुणाचल प्रदेश और कर्नाटक में सरकार का बनना-बिगड़ना विधायकों के पाला बदलने के कारण हुआ।

रिपोर्ट कहती है कि 2016-2020 के दौरान पार्टी बदलकर राज्यसभा चुनाव फिर से लड़ने वाले 16 राज्यसभा सदस्यों में से 10 भाजपा में शामिल हुए जबकि पाला बदलनेवाले 12 लोकसभा सदस्यों में से पांच ने 2019 के संसदीय चुनावों में कांग्रेस का दामन थामा। बता दें कि नेशनल इलेक्शन वाच और एडीआर ने विगत पांच वर्ष के दौरान 433 सांसदों एवं विधायकों के चुनावों के दौरान दिए गए हलफनामे का विश्लेषण करने के बाद यह रिपोर्ट तैयार की।