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Source
Raftaar
Date
City
New Delhi

पांच राष्ट्रीय पार्टियों को वित्तवर्ष 2019-20 के दौरान सभी कॉर्पोरेट/व्यावसायिक घरानों से कुल 921.95 करोड़ रुपये का दान मिला, जो ज्ञात स्रोतों से राजनीतिक दलों को दिए जाने वाले कुल योगदान का 91 प्रतिशत है। सबसे ज्यादा चंदा भाजपा को मिला। चुनावी राजनीति में पारदर्शिता लाने की वकालत करने वाली संस्था एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) के एक विश्लेषण के मुताबिक, 2004-12 से 2019-20 के बीच की अवधि में इस तरह का दान 143 फीसदी बढ़ा है। भारत चुनाव आयोग को पेश किए गए ब्योरे के विश्लेषण से पता चला है कि दाताओं ने पार्टियों को एक वित्तवर्ष में कम से कम 20,000 रुपये से अधिक चंदा दिया। इस बार की रिपोर्ट में भाजपा, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (आईएनसी), राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी), मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) और अखिल भारतीय तृणमूल कांग्रेस पर विचार किया गया, लेकिन बहुजन समाज पार्टी (बसपा) पर नहीं। एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) ने इस ब्योरे के विश्लेषण पर विचार नहीं किया, क्योंकि पार्टी ने घोषणा की कि उसे इस अवधि के दौरान या 2004 के बाद से किसी भी दाता से 20,000 रुपये से अधिक का कोई स्वैच्छिक योगदान नहीं मिला है। एडीआर ने कहा कि पांच राष्ट्रीय दलों में से भाजपा को 2,025 कॉर्पोरेट दाताओं से सबसे अधिक 720,407 करोड़ रुपये का चंदा मिला, उसके बाद कांग्रेस को 154 कॉर्पोरेट दाताओं से कुल 133.04 करोड़ रुपये मिले और एनसीपी को 36 कॉर्पोरेट दाताओं से 57,086 करोड़ रुपये का चंदा मिला। वित्तवर्ष 2019-20 के दौरान भाजपा, कांग्रेस और भाजपा को कॉर्पोरेट/व्यावसायिक घरानों से 20,000 रुपये से अधिक का स्वैच्छिक दान मिला, जो क्रमश: 96 प्रतिशत, 95 प्रतिशत और 92 प्रतिशत था। सीपीआई ने वित्तवर्ष 2019-20 के लिए कॉर्पोरेट चंदे से कोई आय नहीं होने की घोषणा की। इन राष्ट्रीय दलों को वित्तवर्ष 2019-20 (जिस दौरान 17वीं लोकसभा के चुनाव हुए थे) में सबसे अधिक 921.95 करोड़ रुपये का कॉर्पोरेट चंदा मिला है। इसके बाद वित्तवर्ष 2018-19 में 881.26 करोड़ रुपये और वित्तवर्ष 2014-15 में 573.18 करोड़ रुपये (जिस दौरान 16वीं लोकसभा चुनाव हुए थे)। वित्तवर्ष 2019-20 में प्राप्त कॉर्पोरेट दान वित्तवर्ष 2012-13 और 2019-20 के बीच प्राप्त कुल कॉर्पोरेट दान का 24.62 प्रतिशत है। हालांकि, वित्तवर्ष 2012-13 और 2019-20 के बीच कॉर्पोरेट द्वारा राष्ट्रीय पार्टियों को दिए जाने वाले चंदे में 1,024 प्रतिशत की वृद्धि हुई, मगर वित्तवर्ष 2015-16 में कॉर्पोरेट चंदे के प्रतिशत में गिरावट आई। कॉर्पोरेट चंदा दाताओं में प्रूडेंट इलेक्टोरल ट्रस्ट शीर्ष पर रहा। इसने दो राष्ट्रीय दलों- भाजपा और कांग्रेस को 38 गुना, कुल 247.75 करोड़ रुपये का दान दिया, जिसमें से 216.75 करोड़ रुपये वित्तवर्ष 2019-20 में भाजपा को दिए गए। वित्तवर्ष 2019-20 में बी.जी. शिर्के कंस्ट्रक्शन टेक्नोलॉजी प्राइवेट लिमिटेड एनसीपी को चंदा देने में शीर्ष पर था। कॉर्पोरेट/व्यावसायिक घरानों के योगदान को एडीआर द्वारा 15 क्षेत्रों/श्रेणियों में बांटा किया गया है और यह पार्टियों द्वारा चुनाव आयोग को पेश किए गए ब्योरे का हिस्सा नहीं है। वित्तवर्ष 2019-20 के दौरान भाजपा, कांग्रेस, एआईटीसी और एनसीपी को चुनावी ट्रस्टों से अधिकतम योगदान मिला। एडीआर की रिपोर्ट में कहा गया है कि भाजपा को सबसे ज्यादा 323.32 करोड़ रुपये मिले, उसके बाद कांग्रेस को 71.00 करोड़ रुपये, एआईटीसी को 2.00 करोड़ रुपये और एनसीपी को 1.50 करोड़ रुपये मिले। कुल 309 चंदे, जिसके जरिए राष्ट्रीय दलों को 10,555 करोड़ रुपये मिले, योगदान फॉर्म में पते का विवरण नहीं है। 13.91 करोड़ रुपये 144 दान से प्राप्त हुए थे, जिसमें योगदान फॉर्म में पैन विवरण शामिल नहीं है, जबकि 16,215 करोड़ रुपये के 16.19 करोड़ रुपये या ऐसे दान का 99.85 प्रतिशत बिना पैन के थे और पते का विवरण भाजपा का था। सिफारिशों में कहा गया कि अपूर्ण योगदान की रिपोर्ट चुनाव आयोग द्वारा पार्टियों को वापस कर दी जानी चाहिए, ताकि उन्हें अपूर्ण जानकारी देने के लिए चिह्न्ति किया जा सके, क्योंकि इस रिपोर्ट में पाया गया कि राष्ट्रीय दलों ने 310 कॉर्पोरेट दाताओं से कुल 16,215 करोड़ रुपये बिना पैन और पता विवरण के प्राप्त किए। एडीआर ने पहले भी इसी तरह की रिपोर्ट पेश की थी। जनवरी 2014 की रिपोर्ट में निर्दिष्ट किया गया था कि वित्तवर्ष 2004-05 और 2011-12 के बीच आठ वर्षो में व्यावसायिक घरानों के विभिन्न क्षेत्रों ने राष्ट्रीय दलों को कुल 378.89 करोड़ रुपये का दान दिया, जो राजनीतिक दलों को ज्ञात स्रोतों से मिले कुल दान का 87 प्रतिशत है।