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अगले दो हफ्ते बाद चुनाव होना है और उत्तर-पूरवी राज्य मेघालय के विधानसभा चुनाव में उतरे उम्मीदवार वहां के लोगों से उनके बेहतर जीवन के लिए सदन मे आवाज़ उठाने का वादा कर रहे हैं। लेकिन, आपको यह जानकार बेहद हैरानी होगी कि वाकई में पिछल पांच वर्षों के दौरान यहां के चुने हुए प्रतिनिधियों को आम लोगों के मुद्दों से कोई खास सरोकार नहीं रहा।

मेघायल विधानसभा में एक 1 में सिर्फ 19 दिन काम 
पिछले पांच वर्षों के दौरान आठवीं मेघालय विधानसभा में सिर्फ 96 दिन ही काम हो पाया। दिल्ली के एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) की रिपोर्ट की मानें तो औसतन साल में सिर्फ 19 दिन ही विधानसभा में काम हो पाया।

छह महीने का है थियेटर

शिलॉन्ग के सिविल राइट्स बॉडी थमा यू रांगली जुकी के अध्यक्ष एंजेला रंगद का कहना है- “विधानसभा सत्र कुछ नहीं बल्कि छह महीने का एक थियेटर है। सत्र में पूछे गए सवालों का कोई फलो-अप नहीं होता है क्योंकि सत्र काफी छोटा होता है। इसे बदलने की जरूरत है।”