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Date: 
16.09.2019
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राजनीतिक दल भ्रष्टाचार को मुद्दा बनाकर चुनाव लड़ते हैं। आम जनजीवन से भ्रष्टाचार को खत्म कर करने के लिए नकदी की बजाए ऑनलाइन लेनदेन को बढ़ावा दिया जा रहा है। लेकिन एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स की रिपोर्ट बताती है कि राष्ट्रीय पार्टियों ने पिछले पांच सालों के दौरान चुनावी चंदे के 20 फीसदी हिस्से के बारे में चुनाव आयोग को गलत पैन सूचना दी है। 

बिना पैन विवरण के चंदे में भाजपा सबसे आगे

बीते छह सालों में राष्ट्रीय दलों में भाजपा ने सबसे ज्यादा 281.55 करोड़ रुपये (64.14 फीसदी) की राशि पैन विवरण के बिना घोषित की है। वहीं कांग्रेस ने बिना पैन के 150.59 करोड़ रुपये (34.31 फीसदी) राशि इकट्ठा की है। जबकि सीपीआई ने ऐसे दान की राशि 5.07 करोड़ रुपये (1.16 फीसदी) है। 

वित्तीय वर्ष 2014-15 के दौरान भाजपा ने सबसे ज्यादा 203.772 करोड़ रुपये और कांग्रेस ने 70.985 करोड़ रुपये की दानराशि का पैन विवरण घोषित नहीं किया था। 

पिछले छह सालों में एनसीपी और तृणमूल कांग्रेस ने सबसे कम दानराशि बिना पैन विवरण के घोषित की है। एनसीपी ने 35.70 लाख रुपये और तृणमूल ने 55 हजार रुपये की राशि बिना पैन विवरण के घोषित की। 

एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) द्वारा तैयार की गई यह रिपोर्ट, वित्तीय वर्ष 2012-13 से 2017-18 की अवधि के दौरान राष्ट्रीय राजनीतिक दलों द्वारा भारत के चुनाव आयोग को सौंपे गए दान रिपोर्ट में प्रदान की गई अघोषित, अधूरी और गलत पैन विवरण जैसे सूचनाओं के अधूरे खुलासे पर केंद्रित है। राष्ट्रीय दलों में भाजपा, कांग्रेस, बसपा, सीपीएम, एनसीपी, सीपीआई और एआईसीटी शामिल हैं। राजनीतिक दलों को उन दान दाताओं का विवरण पेश करना जरूरी है, जिन्होंने हर साल चुनाव आयोग को एक वित्तीय वर्ष (एक अप्रैल से 31 मार्च तक) में 20 हजार रुपये से ज्यादा का दान दिया है। 

राष्ट्रीय राजनीतिक दलों के वित्त वर्ष 2017-18 द्वारा प्राप्त दान के विश्लेषण पर अपनी नवीनतम रिपोर्ट में, एडीआर ने पाया कि सात राष्ट्रीय दलों में से चार दलों, भाजपा, कांग्रेस, सीपीआई और सीपीएम ने 219 दान का पैन विवरण घोषित नहीं किया था। जिनसे पार्टियों ने कुल 4.95 करोड़ रुपये दान प्राप्त किए। 

राष्ट्रीय दलों ने दान रिपोर्ट के विश्लेषण में वित्तीय वर्ष 2016-17, 2015-16, 2014-15, 2013-14, 2012-13 के दौरान भी ऐसी ही जानकारी मिली। वित्तीय वर्ष 2012-13 से 2017-18 की अवधि के दौरान, राष्ट्रीय दलों ने 2140.36 करोड़ रुपये (20 हजार से ज्यादा) का कुल दान घोषित किया है। इस दौरान छह राष्ट्रीय दलों ने मिले कुल दान में से 453.61 करोड़ रुपये यानी 21.19 फीसदी दानराशि अघोषित और अपूर्ण या गलत पैन विवरण वाले दान दाताओं में घोषित किया है। बसपा ने कभी भी 20 हजार से ज्यादा का दान घोषित नहीं किया है। 

क्या कहता है कानून

सुप्रीम कोर्ट ने 13 सितंबर 2013 को यह एलान किया था कि उम्मीदवारों के शपथपत्र का कोई भी हिस्सा खाली नहीं रहना चाहिए। इसी तरह फॉर्म 24 ए का भी कोई हिस्सा खाली नहीं होना चाहिए। फॉर्म 24 ए राजनीतिक दलों द्वारा 20 हजार रुपये से ज्यादा दान देने वाले लोगों के लिए पेश किया जाता है। 

ऐसे बढ़ेगी वित्तीय पारदर्शिता

जिन दान दाताओं ने एक या उससे ज्यादा दान के रूप में कम से कम 20 हजार रुपये दान दिया हो उन्हें अपना पैन विवरण देना चाहिए। सार्वजनिक जांच के लिए राष्ट्रीय दलों को अपने दल को मिले दान का उचित और पूरा विवरण समय पर चुनाव आयोग को जमा कर देना चाहिए। ऐसा करने से वित्तीय पारदर्शिता को बढ़ावा मिलेगा। 

यही नहीं राष्ट्रीय और क्षेत्रीय राजनीतिक दलों को सूचना के अधिकार के तहत अपनी वित्त संबंधी जानकारी देनी चाहिए। यह राजनीतिक दलों, चुनावों और लोकतंत्र को मजबूत करने में मदद करेगा।

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