एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्मस (एडीआर) द्वारा मंगलवार को जारी रिपोर्ट के मुताबिक, बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण में 35 प्रतिशत करोड़पति उम्मीदवार मैदान में हैं।
एडीआर रिपोर्ट के अनुसार, बिहार चुनाव के पहले फेज में राजद के 41 में से 22, लोजपा के 41 में से 20 , भाजपा के 29 में 13 , कांग्रेस के 21 में 9, जदयू के 35 में 10 और बसपा के 26 में 5 उम्मीदवार ऐसे हैं जिनपर गंभीर आपराधिक मामले दर्ज हैं।
बिहार चुनाव 2020 के पहले चरण में 1064 में 328 उम्मीदवारों ने अपने ऊपर आपराधिक मामले घोषित किये हैं। रिपोर्ट के अनुसार बिहार चुनाव 2020 के पहले फेज में कुल 240 में 136 उम्मीदवार दागी छवि के पाए गए हैं।
एडीआर की रिपोर्ट के मुताबिक 43 प्रतिशत यानि 455 उम्मीदवार- कक्षा 5 से 12 तक शिक्षित है। 49 प्रतिशत उम्मीदवार- स्नातक या उससे अधिक है, 74 उम्मीदवार-साक्षर हैैं, 5 उम्मीदवार- असाक्षर और 7 उम्मीदवार- डिप्लोमाधारी हैैंं।
एडीआर की रिपोर्ट के अनुसार, पहले फेज में होने वाले बिहार चुनाव के लिए धनवान प्रत्याशियों की सूची में सबसे उपर राजद के मोकामा से उम्मीदवार अनंत सिंह हैं, दूसरे नंबर पर बरबीघा के कांग्रेस प्रत्याशी गजेंद्र शाही और तीसरे नंबर पर अतरी सीट से जदयू उम्मीदवार मनोरमा देवी हैं।
राजद के मोकामा से उम्मीदवार अनंत सिंह ने कुल 68,56,78,795 रूपये का ब्यौरा दिया है। जो पहले चरण में किसी उम्मीदवार की सबसे अधिक संपत्ति है।
एडीआर की रिपोर्ट के अनुसार कपिल देव देव मंडल - जमालपुर- कांग्रेस पार्टी की संपत्ति शून्य है। इनके अलावा अशोक कुमार -मोकामा -जाकरूक जनता पार्टी -शून्य, प्रभु सिंह - चैनपुर-राष्ट्रीय स्वतंत्र पार्टी संपत्ति शून्य, गोपाल निषाद - नबीनगर संपत्ति शून्य और महावीर मांझी-बोधगया -भार्ती इनसान पार्टी के पास संपत्ति के नाम पर कुछ भी नहीं है।
एडीआर की रिपोर्ट के अनुसार, बिहार चुनाव के पहले फेज में 29 उम्मीदवारों के उपर महिला से अत्याचार करने का मामला दर्ज है। वहीं 3 उम्मीदवार ऐसे हैं जिनपर बलात्कार का आरोप है।
उल्लेखनीय है कि एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स एक भारतीय गैर-पक्षपातपूर्ण, गैर-सरकारी संगठन है जो चुनावी और राजनीतिक सुधारों के क्षेत्र में काम करता है। नेशनल इलेक्शन वॉच के साथ, एडीआर भारतीय राजनीति में पारदर्शिता और जवाबदेही लाने और चुनावों में धन और बाहुबल की शक्ति के प्रभाव को कम करने का प्रयास कर रहा है।