बजट में राजनीतिक पार्टियों की तरफ से विभिन्न साधनों द्वारा घोषित इनकम की जांच-पड़ताल की भी बात नहीं कही गई है और पेनल्टी के असरदार उपायों के बिना रिफॉर्म अधूरा रहेगा। एडीआर ने कहा है, 'जब तक राजनीतिक पार्टियों के खातों की जांच का काम कैग या चुनाव आयोग की तरफ से मंजूर संस्था को नहीं मिलता है, तब तक राजनीतिक पार्टियां अपनी घोषित इनकम सही नहीं बताएंगी।'
असोसिएशन फॉर डेमोक्रैटिक रिफॉर्म्स (ADR) के मुताबिक, राजनीतिक दलों को चंदा देने की व्यवस्था में सरकार के प्रस्तावित सुधार 'महत्वहीन' हैं क्योंकि ये अस्पष्ट बने रहेंगे। साथ ही, संस्था के मुताबिक नकद चंदे को 2,000 रुपये तक सीमित करने का प्रस्ताव दरअसल जवाबदेही, खुलासा करने और राजनीतिक इच्छा के नजरिये से खामी वाला है। एडीआर चुनाव और इससे जुड़े विषयों पर नजर रखता है।
राजनीतिक चंदे को ज्यादा पारदर्शी बनाने के लिए सरकार द्वारा आम बजट में कुछ उपायों का प्रस्ताव किए जाने के एक दिन बाद एडीआर ने कहा कि राजनीतिक पार्टियों के वित्तीय मामलों में अब भी पूर्ण पारदर्शिता नहीं अपनाई गई है। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने राजनीतिक चंदे में पारदर्शिता लाने के मकसद 2017-18 के अपने बजट भाषण में नकद चंदा 2,000 रुपये तक सीमित करने और चुनाव बॉन्ड पेश करने का ऐलान किया था।
एडीआर के बयान में गुरुवार को कहा गया, 'बजट में राजनीतिक फंडिंग में पारदर्शिता और जवाबदेही का वादा किया गया है। हालांकि, इसमें इन चीजों का जवाब नहीं है कि इसे जमीनी स्तर पर किस तरह लागू किया जाएगा या क्या इसमें चुनाव आयोग और लॉ कमीशन ऑफ इंडिया की तरफ से सिफारिश किए गई सुधारों को लागू करने वादा किया गया है।' संस्था के मुताबिक, बजट राजनीतिक पार्टियों की पारदर्शिता, डिसक्लोजर और पेनल्टी मुद्दे से निपटने में नाकाम रहा है।