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Source
Special Coverage News
https://www.specialcoveragenews.in/category/apni-baat/this-one-who-is-sitting-on-the-ground-with-a-crouch-in-the-middle-is-neither-the-king-of-the-democracy-of-this-country-1186648?infinitescroll=1
Author
Pratyaksh Mishra
Date

2019-20 में बीजेपी को 3400 करोड़ से अधिक दान मिला है। जितने चंदे मिले हैं उसमें सबसे अधिक बीजेपी को मिले हैं।

बीजेपी समर्थकों के लिए एक बड़ी खुशखबरी आ रही है। राजनीतिक पार्टियों को चंदा देने के लिए एक बॉन्ड आया था, जिसका नाम है इलेक्टोरल बॉन्ड !! झाँसा दिया गया कि यह पारदर्शी है। लोग बैंक को पैसा देंगे और बैंक पार्टी को बॉन्ड देगा। लेकिन पता नहीं चलेगा कि किसने कितना पैसा दिया! देने वाले का नाम ग़ायब। सबने ताली बजाई कि वाह अच्छा नियम आया है। नितिन सेठी जैसे पत्रकारों ने इसके खेल पर जान लगाकर रिपोर्टिंग की, लेकिन जनता ने कहा हम तो ताली बजाएँगे। सुप्रीम कोर्ट ने भी इसमें पारदर्शिता होने की बात की थी, लेकिन वह गाना सुना है ना ,"

आज भी महफ़िलों में तेरे और मेरे नाम पहले की तरह ही मशहूर हैं,

 मेरे बरबादियों की वज़ह से कहते हैं

कि तू शामिल नहीं है

 क़त्ल बाज़ार में हो चुका हूँ फिर भी

 तू मेरा क़ातिल नहीं है

 बेवफ़ा तेरा मासूम चेहरा भूल जाने के क़ाबिल नहीं है

 भूल जाने के क़ाबिल नहीं है...

नतीजा ?

बीजेपी को कुल 76 प्रतिशत बॉन्ड मिले हैं। 2019-20 में बीजेपी को 3400 करोड़ से अधिक दान मिला है। जितने चंदे मिले हैं उसमें सबसे अधिक बीजेपी को मिले हैं। देने वाले का नाम बैंक के पास होगा ही। वो सफ़ेद कमाई का पैसा दे रहा है या काली कमाई का कौन जानता है? लेकिन बैंक के ज़रिए कौन जान जाता होगा कि दूसरे दलों को चंदा कौन दे रहा है यह इस देश में जानना आसान नहीं है?

वैसे जब जनता की कमाई घटी हो और पार्टी को बढ़ी हो तो कम से कम इसी का दोष मानों। 

संवैधानिक चेतावनी: यह जानकारी आपके जागरूक होने के लिए नहीं है।