भोपाल: मध्य प्रदेश में 15 वर्षों के बाद कांग्रेस का शासन तो लौटा ही है, विधानसभा का स्वरूप भी काफी हद तक बदल गया है. राज्य की नई विधानसभा के लिए चुने गए सदस्यों में आपराधिक मामलों वाले यानी दागी विधायकों का अनुपात करीब 10 फीसदी बढ़ गया है. वैसे तो इसमें कोई भी पार्टी पीछे नहीं है, लेकिन कांग्रेस के आधे से ज्यादा नवनिर्वाचित विधायकों के खिलाफ आराधिक मामले दर्ज हैं. इतना ही नहीं, विधानसभा में करोड़पति विधायकों की संख्या भी बढ़ गई है.
मध्यप्रदेश में पिछले चुनाव के मुकाबले इस बार आपराधिक प्रवृत्ति के ज्यादा उम्मीदवार विधानसभा चुनाव जीते हैं. राज्य के 230 सदस्यों में से 94 विधायक ऐसे हैं, जिनके खिलाफ आपराधिक प्रकरण दर्ज हैं. इनमें से 47 पर गंभीर मामले हैं. एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म और नेशनल इलेक्शन वॉच द्वारा शुक्रवार को जारी ब्यौरे में कहा गया है कि राज्य में 230 विधायक निर्वाचित हुए हैं, उनके हलफनामों का अध्ययन करने पर पाया गया है कि इस बार पिछले चुनाव यानी वर्ष 2013 के मुकाबले आपराधिक प्रवृत्ति के ज्यादा विधायक चुनकर आए हैं.
ब्यौरे के अनुसार, 230 निर्वाचित सदस्यों में से 94 यानी 41 प्रतिशत ऐसे हैं, जिन पर आपराधिक मामले हैं. इनमें से 47 यानी 20 प्रतिशत ऐसे हैं, जिनके खिलाफ गंभीर आपराधिक मामले हैं. वर्ष 2013 में निर्वाचित सदस्यों में से 73 यानी 32 प्रतिशत ऐसे थे, जिन पर आपराधिक मामले थे. इसमें गंभीर अपराधों में लिप्त सदस्यों की संख्या 45 यानी 19 प्रतिशत थी.
एडीआर का अध्ययन बताता है कि निर्वाचित सदस्यों में छह तो ऐसे हैं, जिन पर हत्या के प्रयास का प्रकरण दर्ज है. कांग्रेस के निर्वाचित 114 सदस्यों में 56 ऐसे हैं, जिन पर आपराधिक मामले हैं. वहीं भाजपा के निर्वाचित 109 सदस्यों में 34 के खिलाफ मामले दर्ज हैं.
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एक तरफ राज्य में पिछले चुनाव से ज्यादा आपराधिक मामलों में लिप्त सदस्य निर्वाचित होकर आए हैं, वहीं करोड़पति सदस्यों की संख्या भी बढ़ गई है. इस बार 187 सदस्य ऐसे हैं, जिनकी संपत्ति करोड़ों में है. पिछले चुनाव में यह संख्या 161 थी. कांग्रेस के विधायकों में 91 और भाजपा के 90 सदस्य करोड़पति हैं.