विभिन्न राजनीतिक दलों के 51 सांसद और विधायक ऐसे हैं, जिन्होंने अपने खिलाफ महिलाओं के विरुद्ध अपराध संबंधी मामले दर्ज होना स्वीकार किया है।
राजनीतिक नेताओं और दलों के क्रियाकलापों का अध्ययन करने वाले एसोसिएशन फार डेमोक्रेटिक रिफार्म्स (एडीआर) और नेशनल इलेक्शन वाच की रिपोर्ट के अनुसार इन सांसदों और विधायकों ने अपने चुनाव हलफनामों में ये जानकारियां दी हैं। इनमें सबसे अधिक 14 सांसद-विधायक बीजेपी के हैं। दूसरे नंबर पर शिवसेना है, जिसके 7 सांसद और विधायकों ने ऐसी घोषणा की है। तृणमूल कांग्रेस के 6 सांसद और विधायकों ने ऐसी घोषणा की है।
दोनों संगठनों ने 776 सांसदों में से 774 और 4120 विधायकों में से 4078 के हलफनामों का अध्ययन कर यह निष्कर्ष निकाला है। कुल 4896 सांसदों-विधायकों में से 4852 के चुनाव के समय पेश किये गये हलफनामों की समीक्षा के बाद एडीआर ने कहा है कि 33 प्रतिशत अर्थात 1581 सांसद और विधायक ऐसे हैं जिन्होंने आपराधिक मामलों की जानकारी दी है।
एडीआर के अनुसार 334 उम्मीदवारों के हलफनामों का विश्लेषण करने पर पता चला कि इन्होंने महिलाओं के खिलाफ अपराध की घोषणा की हुयी है। इन उम्मीदवारों को मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों ने चुनाव लड़वाने के लिये टिकट दिया। पिछले 5 साल के दौरान 122 निर्दलीय उम्मीदवार ऐसे रहे जिन्होंने महिलाओं के खिलाफ अपराध की घोषणा की और चुनाव मैदान में उतरे।
महिलाओं के खिलाफ अपराध की घोषणा करने वाले 334 उम्मीदवारों में से 40 को लोकसभा और राज्यसभा के लिये मान्यता प्राप्त दलों ने टिकट दिया जबकि 294 ने विधानसभा का चुनाव लड़ा। एडीआर के अनुसार महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा 12 सांसद और विधायक ऐसी घोषणा करने वालों में शामिल हैं। पश्चिम बंगाल और ओडिशा में क्रमश: 11 और 6 के साथ दूसरे और 3 क्रमांक पर हैं। सबसे अधिक 65 उम्मीदवार भी महाराष्ट्र से रहे। बिहार 62 के साथ 2 और पश्चिम बंगाल 52 के साथ 3 स्थान पर रहा।