उत्तर प्रदेश की नव निर्वाचित विधानसभा में आधे से ज्यादा विधायकों पर आपराधिक मामले दर्ज हैं। एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) के विश्लेषण के मुताबिक, उत्तर प्रदेश के 403 नवनिर्वाचित विधायकों में से 205 यानी करीब 51 फीसदी पर क्रिमिनल केस दर्ज हैं। इसका खुलासा नामांकन के समय जमा किये गए उम्मीदवारों के हलफनामों से हुआ है।
एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) द्वारा जारी एक विश्लेषण रिपोर्ट के अनुसार, नवनिर्वाचित विधानसभा में 158 जीते हुए उम्मीदवारों यानी 39 प्रतिशत ने अपने ऊपर गंभीर आपराधिक मामले दर्ज होने की बात हलफनामें में कही है। जिनमें हत्या, हत्या के प्रयास, अपहरण, महिलाओं के खिलाफ अपराध जैसे संगीन जुर्मों से संबंधित मामले शामिल हैं।
इसके अलावा 5 नव निर्वाचित विधायकों ने अपने खिलाफ हत्या (आईपीसी धारा-302) से संबंधित मामले घोषित किए हैं। वहीं 29 विधायकों ने हत्या के प्रयास से संबंधित मामले दर्ज होने की बात घोषित की है, जबकि छह विजयी उम्मीदवार महिलाओं के प्रति अपराधों में आरोपी हैं। जिनमें से एक पर बलात्कार से संबंधित मामला भी दर्ज है।
एडीआर के विश्लेषण के मुताबिक, दलगत स्थिति देखे तो भाजपा के 255 विजयी उम्मीदवारों में से 111 यानी 44 फीसदी ऐसे हैं, जिनकी पृष्ठभूमि आपराधिक है। वहीं सपा के 111 विजयी उम्मीदवारों में से 71 यानी 64 फीसदी, राष्ट्रीय लोक दल (रालोद) के 8 विजयी उम्मीदवारों में से 7 यानी करीब 88 फीसद का आपराधिक रिकॉर्ड है।
वहीं, सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) व निषाद पार्टी के दोनों के छह-छह में से चार-चार यानी 67 फीसदी और अपना दल के 12 विजयी उम्मीदवारों में से 3 विधायकों ने आपराधिक मामले दर्ज होने की बात स्वीकारी है। इन सबके अलावा जनसत्ता दल के दो, कांग्रेस के दो और बसपा के एकमात्र विजयी उम्मीदवार ने भी आपराधिक रिकॉर्ड होने की बात घोषित की है।
आपराधिक रिकॉर्ड के अलावा यदि संपत्ति की घोषणा की बात करें तो भाजपा के 255 नवनिर्वाचित विधायकों में से लगभग 233, सपा के 111 में से 100, अपना दल के 12 में से 9, राष्ट्रीय लोक दल (रालोद) के 8 में से 7, सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के 6, निषाद पार्टी के 6 ने 1 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति घोषित की है। इसी क्रम में जनसत्ता दल के 2, कांग्रेस के 2 और बसपा से 1 विजयी उम्मीदवार ने भी 1 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति घोषित की है।