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Date: 
18.12.2018
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एडीआर की रिपोर्ट के अनुसार छह राजनीतिक दलों की कुल आय 1,198.76 करोड़ रुपये है,  जिसमें भाजपा के पास अकेले 1,027.34 करोड़ रुपये हैं.  2016-17 की तुलना में भाजपा की आय में भी इस साल कमी आयी है.

NewDelhi : नोटबंदी के दौर में अधिकांश राजनीतिक दल भी फंड की कमी का रोना रो रहे है. एसोसिएशन फॉर डिमॉक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) की रिपोर्ट के अनुसार इस साल (2017-18) में अधिकतर पार्टियों की कमाई घट गयी. रिपोर्ट की मानें तो बसपा और राकांपा जैसी पार्टियों को मिलने वाला चंदा आधे से भी कम हो गया है. जानकारी के अनुसार अब तक कुल छह राजनीतिक दलों ने अपना आयकर रिटर्न जमा कराया है.  इनमें कांग्रेस को छोड़ भाजपा, सीपीएम, बीएसपी, एनसीपी, टीएमसी और सीपीआई शामिल हैं. एडीआर की रिपोर्ट के अनुसार छह राजनीतिक दलों की कुल आय 1,198.76 करोड़ रुपये है,  जिसमें भाजपा के पास अकेले1,027.34 करोड़ रुपये हैं.  बता दें कि भाजपा ने 785.47 करोड़ रुपये खर्च किये हैं. हालांकि, 2016-17 की तुलना में भाजपा की आय में भी इस साल कमी आयी है. भाजपा ने इसके पहले 1,034.27 करोड़ रुपये की संपत्ति घोषित की थी.  राजनीतिक दलों में सिर्फ सीपीएम ही ऐसी पार्टी है जिसने अपनी आय बढ़ोतरी दर्ज कराई है.  रिपोर्ट के अनुसार सीपीएम को 2016-17 में 100.26 करोड़ का चंदा मिला, वहीं 2017-18 में चंदा बढ1 कर 104.85 करोड़ मिला है. सीपीएम ने 83.48 करोड़ रुपये खर्च करने की बात कही है.

 बसपा की आय में भारी कमी आयी है

 राजनीतिक दलों की संपत्ति में मायावती की पार्टी बसपा की आय में भारी कमी आयी है. पिछली बार बसपा को 173.58 करोड़ का चंदा मिला था. इस साल उसे51.69 करोड़ रुपये ही मिले. बसपा ने इसमें से 14.78 करोड़ रुपये फिलहाल खर्च किये हैं. इस क्रम में शरद पवार की राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी की आय में भी  50 फीसदी तक की गिरावट आयी है.  एनसीपी को पिछले साल 17.23 करोड़ रुपये, जबकि इस वर्ष उसे 8.15 करोड़ रुपये मिले हैं एनसीपी ने मिले चंदे से ज़्यादा यानी  8.84 करोड़ रुपये खर्च कर डाले हैं. ममता बनर्जी की  टीएमसी को 6.39 की तुलना में इस साल 5.17 करोड़ रुपये मिले,  इसमें से उसने 1.77 करोड़ रुपये खर्च किये हैं. अभी तक जिन दलों ने अपना ऑडिट रिपोर्ट पेश की है, उनमें सीपीआई को सबसे कम चंदा मिला है.  सीपीआई को जहां पिछली बार 2.08 करोड़ मिले थे वहीं, इस साल उसे 1.55 करोड़ रुपये का चंदा मिला. सीपीआई ने इसमें से 1.10 करोड़ रुपये खर्च किये.   

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