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एडीआर ने राष्ट्रीय दलों को 20 हजार रुपये से ज्यादा चंदे पर रिपोर्ट पेश की है। 2017-18 के मुकाबले 2018-19 में राष्ट्रीय दलों को चंदे में 481 करोड़ रुपये यानि 103 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। रिपोर्ट में बताया गया है कि सबसे ज्यादा चंदा भाजपा को मिला है जबकि कांग्रेस दूसरे नंबर है। हालांकि राशि के मामले में वह भाजपा से बहुत ज्यादा पीछे रह गई है।

चंदे का ब्यौरा सौंपने की अंतिम तारीख 30 सितंबर 2019 थी। कांग्रेस, बसपा, एनसीपी और टीएमसी ने समय पर ब्यौरा सौंप दिया था। सीपीआई ने तीन दिन बाद जबकि सीपीएम ने 21 दिन और भाजपा ने 31 दिन बाद ब्यौरा सौंपा।

कौन-कौन से राष्ट्रीय दल

भाजपा
कांग्रेस
बसपा
एनसीपी
सीपीआई
सीपीएम
तृणमूल कांग्रेस

प्रमुख बातें

  • सियासी दलों ने बताया कि उन्हें 20 हजार से ज्यादा की राशि के कुल 5520 चंदे मिले। ये राशि 951.66 करोड़ रुपये है।
  • भाजपा को 4483 चंदे के जरिए 742.15 करोड़ रुपये मिले।
  • कांग्रेस को 605 चंदे के जरिए 148.58 करोड़ रुपये मिले।
  • भाजपा को मिला चंदा बाकी दलों कांग्रेस, एनसीपी, सीपीआई, सीपीएम और टीएमसी से भी ज्यादा रहा।
  • बसपा ने बताया कि उसे 2018-19 के दौरान 20 हजार रुपये से ज्यादा का कोई चंदा नहीं मिला।
एडीआर ने राष्ट्रीय दलों को 20 हजार रुपये से ज्यादा चंदे पर रिपोर्ट पेश की है। 2017-18 के मुकाबले 2018-19 में राष्ट्रीय दलों को चंदे में 481 करोड़ रुपये यानि 103 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। रिपोर्ट में बताया गया है कि सबसे ज्यादा चंदा भाजपा को मिला है जबकि कांग्रेस दूसरे नंबर है। हालांकि राशि के मामले में वह भाजपा से बहुत ज्यादा पीछे रह गई है।
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चंदे का ब्यौरा सौंपने की अंतिम तारीख 30 सितंबर 2019 थी। कांग्रेस, बसपा, एनसीपी और टीएमसी ने समय पर ब्यौरा सौंप दिया था। सीपीआई ने तीन दिन बाद जबकि सीपीएम ने 21 दिन और भाजपा ने 31 दिन बाद ब्यौरा सौंपा।
कौन-कौन से राष्ट्रीय दल

भाजपा
कांग्रेस
बसपा
एनसीपी
सीपीआई
सीपीएम
तृणमूल कांग्रेस

प्रमुख बातें

  • सियासी दलों ने बताया कि उन्हें 20 हजार से ज्यादा की राशि के कुल 5520 चंदे मिले। ये राशि 951.66 करोड़ रुपये है।
  • भाजपा को 4483 चंदे के जरिए 742.15 करोड़ रुपये मिले।
  • कांग्रेस को 605 चंदे के जरिए 148.58 करोड़ रुपये मिले।
  • भाजपा को मिला चंदा बाकी दलों कांग्रेस, एनसीपी, सीपीआई, सीपीएम और टीएमसी से भी ज्यादा रहा।
  • बसपा ने बताया कि उसे 2018-19 के दौरान 20 हजार रुपये से ज्यादा का कोई चंदा नहीं मिला।