Skip to main content
Date

चुनाव की तारीखों का एलान होते ही एक नया ‘बाजार’ सजने लगा है। अनुमान है कि राजस्थान में अगले 52 दिन में चार हजार करोड़ रुपए से ज्यादा पैसा बाजार में आएगा। यह वो पैसा होगा, जो प्रत्याशी खुलकर खर्च करेंगे, जो निर्वाचन आयोग द्वारा तय की गई खर्च सीमा से कई गुना ज्यादा है।

 यूं तो आयोग ने प्रति उम्मीदवार 28 लाख रुपए की खर्च सीमा तय कर रखी है। असल स्थिति इससे उलट है। प्रत्याशियों से लेकर पार्टियां तक...बेहिसाब पैसा बहाती हैं। कई दावेदार ताे ऐसे हैं, जो टिकट मिलने से पहले ही करोड़ रुपए का आंकड़ा पार कर चुके हैं। राजस्थान इलेक्शन वॉच की समन्वयक डॉ रेणुका पामेजा कहती हैं- चुनावों में प्रत्याशी पैसा पानी की तरह बहा रहे हैं। प्रत्याशी एक से तीन करोड़ तक रुपये तक खर्च कर रहे हैं। इसी तरह अरबों रुपये पार्टियों की ओर से खर्च किए जाएंगे। यह खर्च तब तक कम नहीं होगा, जब तक चुनावी खर्च आरटीआई के दायरे में नहीं लाया जाएगा।

कैसे और कहां खर्च होंगे ये चार हजार करोड़ रुपए

बेहिसाब पैसा

- दो हजार से ऊपर प्रत्याशी औसत खर्च 1 करोड़ रुपए : 2013 के राजस्थान विधानसभा चुनाव में 2096 प्रत्याशी मैदान में थे। न्यूनतम खर्च 50 लाख, अधिकतम 3 करोड़ था। औसत 1 करोड़ भी मानें तो इस बार 2100 से 2200 करोड़ तो सिर्फ प्रत्याशी अपने स्तर पर खर्च कर देंगे।

- सिर्फ पार्टियों का बजट ही 1500 करोड़ रह सकता है: कांग्रेस चुनाव में 300 से 500 करोड़, भाजपा 500 से 800 करोड़, वहीं बसपा, जमींदारा जैसी पार्टियां 200 से 300 करोड़ रुपए तक खर्च करेंगी। एक बड़ी रैली पर ही दो से तीन करोड़ रुपए खर्च होंगे।

हर पैसे का हिसाब

- निर्वाचन की ओर से 250 करोड़ रुपये तक अधिकतम खर्च किए जाने की संभावना है। हालांकि मुख्य निर्वाचन अधिकारी के कार्यालय की ओर से 200 करोड़ के बजट का प्रावधान किया गया है, जिसे बढ़ाकर 250 करोड़ किया जा सकता है। पिछले चुनाव से 143 करोड़ रुपए खर्च हुआ था। इस बार नए प्रयोगों की वजह से बजट बढ़ जाएगा।

 करीब डेढ लाख लोगों को मिलेगा मौसमी रोजगार

चुनावी पैसा यानी काला धन...प्राॅपर्टी-शराब-खनन और सट्‌टे बाजार से आया यह पैसा नकदी बांटने में, शराब-कपड़े वितरित करने और कार्यकर्ताओं पर खर्च किए जाएंगे। चुनावी खर्च से मौसमी तौर पर रोजगार का सृजन होगा। बड़े पैमाने पर खाने के कारोबार से जुड़े हलवाई, मजदूरों, ट्रांसपोर्ट, बैनर-पोस्टर, होर्डिंग बनाने वाले, टेंट, लाइट एवं साउंड, आईटी सहित अन्य क्षेत्रों में एक से डेढ़ लाख के बीच रोजगार मिलने की संभावना है। एक प्रत्याशी कम से कम 100 लोगों को किसी न किसी रूप में रोजगार देता ही है। टिकट के दावेदारों के तो यहां अभी से हलवाइयों का काम शुरू हो गया है।

 दो सर्वे : कैसे हजारों करोड़ में पहुंच जाते हैं विधानसभा चुनाव

- 2017 उत्तरप्रदेश चुनाव में 5500 करोड़ : सीएमएस प्री-पोल पोस्ट स्टडी के सर्वे में सामने आया था कि उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनाव में 5500 करोड़ रुपए प्रत्याशी और पार्टियों ने मिलकर खर्चे थे। इनमें से एक हजार करोड़ रुपए तो सिर्फ नोट के बदले वोट पर खर्च हुए थे।

- 2018 कर्नाटक चुनाव में 10,500 करोड़ : सीसीएम सर्वे के मुताबिक दलों ने 10,500  करोड़ रुपए चुनाव में खर्च कर डाले। यह पैसा 2013 के चुनाव में खर्च हुई राशि का ठीक दोगुना है।