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ऐसा नहीं कि आर्थिक चुनौतियों के इस दौर में सिर्फ आपकी ही जेब हल्की हो रही है। आंकड़ों पर गौर फरमाएं तो अधिकांश राजनीतिक दल भी फंड की कमी से जूझ रहे हैं। एसोसिएशन फॉर डिमॉक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) की रिपोर्ट के मुताबिक इस साल (2017-18) अधिकतर पार्टियों की आय घट गई है। बीएसपी और एनसीपी जैसी पार्टियों को मिलने वाला चंदा तो आधे से भी कम हो गया है। अब तक कुल 6 राजनीतिक दलों ने अपना आयकर जमा कराया है। जिनमें कांग्रेस को छोड़ बीजेपी, बीजेपी, सीपीएम, बीएसपी, एनसीपी, टीएमसी और सीपीआई शामिल हैं।

एडीआर की रिपोर्ट के मुताबिक 6 राजनीतिक दलों की कुल आय 1,198.76 करोड़ रुपये है। जिसमें बीजेपी के पास अकेले 1,027.34 करोड़ रुपये हैं। इसमें से बीजेपी ने 785.47 करोड़ रुपये खर्च कर डाले हैं। हालांकि, 2016-17 की तुलना में बीजेपी की आय में भी इस साल कमी आई है। बीजेपी ने इसके पहले 1,034.27 करोड़ रुपये की संपत्ति घोषित की थी। राजनीतिक दलों में सिर्फ सीपीएम ऐसी पार्टी है जिसने अपनी आय बढ़ोतरी में दिखायी है। सीपीएम के पास 2016-17 में 100.26 करोड़ का चंदा मिला था। वहीं, 2017-18 में 104.85 करोड़ मिला है। इस रकम में से सीपीएम ने 83.48 करोड़ रुपये खर्च कर डाले हैं।

वर्तमान में घोषित राजनीतिक दलों की संपत्ति में मायावती की पार्टी बीएसपी की आय में काफी कमी आई है। पिछली बार जहां बीएसपी ने 173.58 करोड़ चंदा मिलने की बात कही थी, वहीं इस साल उसे 51.69 करोड़ रुपये ही मिले। बीएसपी ने इसमें से 14.78 करोड़ रुपये फिलहाल खर्च किए हैं। शरद पवार की राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) की आय में भी करीब 50 फीसदी तक की गिरावट आई है। एनसीपी को पिछले साल 17.23 करोड़ रुपये का चंदा मिला था। जबकि, इस वर्ष उसे 8.15 करोड़ रुपये मिला है। लेकिन, पार्टी ने मिले हुए चंदे से ज्यादा अपना खर्च दिखाया है। एनसीपी ने 8.84 करोड़ रुपये खर्च कर डाले हैं। वहीं, ममता बनर्जी की पार्टी त्रिणमूल कांग्रेस (टीएमसी) को 6.39 की तुलना में इस साल 5.17 करोड़ रुपये मिले। इसमें से उसने 1.77 करोड़ रुपये खर्च किए हैं।

आंकड़ों के मुताबिक अभी तक जिन दलों ने अपना ऑडिट रिपोर्ट दाखिल किया है, उनमें सीपीआई को सबसे कम चंदा मिला है। सीबीआई को जहां पिछली बार 2.08 करोड़ मिले थे। वहीं, इस साल उसे 1.55 करोड़ रुपये का चंदा मिला। सीपीआई ने इसमें से 1.10 करोड़ रुपये खर्च किए हैं। इन राजनीतिक दलों को मिले कुल 1,198.76 करोड़ रुपये का लगभग 87 फीसदी हिस्सा स्वैच्छा से मिला चंदा है।


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