Date: 
29.01.2018
City: 
New Delhi

नौ चुनावी ट्रस्टों ने साल 2013-14 से 2016-17 के बीच यानी चार सालों के राजनीतिक दलों के चंदे को पेश किया है। नौ चुनावी न्यासों (इलेक्टोरल ट्रस्ट) ने चार सालों में 637.54 करोड़ रुपए का चंदा पार्टियों को दिया है। जिसमें बीजेपी पर नाम ऊपर है, बीजेपी को सबसे ज्यादा 488.94 करोड़ रुपए और कांग्रेस को 86.65 करोड़ रुपए का चंदा मिला है।

एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) ने हाल ही में एक रिपोर्ट पेश की है जिसमें इसका खुलासा हुआ है। पेश की गई रिपोर्ट के मुताबिक चुनावी ट्रस्टों की ओर से दिए गए कुल चंदे का रूपया 92.30 प्रतिशत यानी 588.44 करोड़ रुपए पांच राष्ट्रीय पार्टियों को मिला है। वहीं, क्षेत्रीय दलों को भी ये लाभ पहुंचाया गया है। रिपोर्ट की मानें तो 16 क्षेत्रीय दलों को सिर्फ 7.70 प्रतिशत यानी 49.09 करोड़ रुपए ही चंदे के रूप में मिले हैं।

इस रिपोर्ट के अनुसार बीजेपी और कांग्रेस ही ऐसी राजनीतिक पार्टियां रहीं जिन्हें हर साल में चुनावी ट्रस्टों की ओर से बड़ी मात्रा में चंदा मिला है। चुनावी ट्रस्टों की स्थिति रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि नौ पंजीकृत चुनावी ट्रस्टों में से सिर्फ दो प्रूडेंट और समाज चुनावी ट्रस्ट ने ही दो से अधिक बार चंदा दिया है। चुनाव आयोग को उसके चंदे की जानकारी पंजीयन से ही दी गई है। इनमें सत्या/प्रूडेंट चुनावी ट्रस्ट और जनहित चुनावी ट्रस्ट ही ऐसे रहे जिन्होंने सभी चार सालों के चंदे का ब्योरा चुनाव आयोग को पेश किया है।

क्या हैं चुनावी ट्रस्ट

साल 2013 में सलकार ने  सरकार ने कंपनियों को चुनावी ट्रस्ट बनाने की अनुमति दी थी, ये ट्रस्ट राजनीतिक दलों और कंपनियों के बीच चंदे के लेन-देन में पारदर्शिता लाने के लिए शुरू की गई थी। इसके नियमों के मुताबिक चुनावी ट्रस्टों को हर वित्त वर्ष में अपनी कुल आय का 95 प्रतिशत पंजीकृत राजनीतिक दलों को चंदे के रूप में देना होता है।

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