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भारतीय चुनावी राजनीति पर गौर करें तो ट्रेंड काफी चौंकाने वाले हैं। द हिंदू में एडीआर (Association for Democratic Reform) के हवाले से छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक 2019 लोकसभा चुनावों में जनता ने साफ छवि के नेताओं को नकार दिया है, जबकि आपराधिक पृष्ठभूमि के नेताओं पर अपना विश्वास जताया है। आंकड़ों के मुताबिक क्रिमिनल केस वाले 233 सांसदों से हारने वाले 115 उम्मीदवारों पर कोई केस नहीं था।

2019 के लोकसभा चुनावों के विजेताओं के विश्लेषण से पता चलता है कि 341 (63%) विजेताओं को उनके निर्वाचन क्षेत्रों में हुए मतदान का 50% या उससे अधिक वोट मिले, जबकि 201 (37%) 50% से भी कम मतों से जीते। अगर बीजेपी की बात करें तो इसके 303 विजयी हुए उम्मीदवारों में से 79 ने 50% से कम वोटों के साथ जीत हासिल की, जबकि 224 (74%) सांसदों को अपने-अपने निर्वाचन क्षेत्रों में 50% से अधिक वोट शेयर मिले। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि 225 दोबारा चुने गए विजेताओं में से, 160 (71%) ने 50% से अधिक वोटों के साथ जीत हासिल की थी। ये सारे आंकड़े ADR की रिपोर्ट में उजागर किए गए हैं। दूसरी ओर, 52 कांग्रेस विजेताओं में से 34 को 50% से कम और 18 सांसदों को 50% से अधिक वोट मिले।

जिन 233 विजय हुए उम्मीदवारों ने अपने खिलाफ आपराधिक मुकदमा दर्ज होने की जानकारी दी थी, उनमें से 115 ने साफ छवि वाले अपने प्रतिद्वंद्वियों को शिकस्त दे दी। इस दौरान घोषित तौर पर आपराधिक छवि वाले 132 (57%) ने 50 फीसदी से ज्यादा मत हासिल किए।

ADR रिपोर्ट के मुताबिक 475 करोड़पति विजयी उम्मीदवारों में से सिर्फ 54 ने गैर-करोड़पति उम्मीदवारों को हराया था। इनमें से पांच विजेताओं ने मतदान का 30% से अधिक वोट हासिल किया। दूसरी ओर, केवल 48 गैर-करोड़पति उम्मीदवारों ने करोड़पति प्रतिद्वंद्वी को हराया। जिनमें से 21 ने 50% से अधिक वोट-शेयर के साथ जीत दर्ज की। जबकि, करोड़पति विजेताओं में से, 313 (66%) ने 50% और उससे अधिक के वोट-शेयर के साथ जीत दर्ज की।


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