शुचिता और चुनावी आचार संहिता का पालन करने के मामले में मिजोरम की छवि बाकी राज्यों से भले अलग हो, वंशवाद की राजनीति के मामले में यह राज्य भी अपवाद नहीं है। इस महीने होने वाले विधानसभा चुनावों में भी वंशवाद का बोलबाला है। ऐसे उम्मीदवारों की सूची में मुख्यमंत्री व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ललथनहवला के रिश्तेदारों के नाम ही सबसे ज्यादा हैं। ललथनहवला पांच बार मिजोरम के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। अबकी वे सत्ता की हैट्रिक बनाने के लिए दो सीटों-शेरछिप व चंफाई दक्षिण से मैदान में हैं। मिजोरम के बेताज मुख्यमंत्री कहे जाने वाले ललथहवला के छोटे भाई लालथनजारा अबकी लगातार तीसरी बार आइजल उत्तर-3 सीट से मैदान में हैं। राज्य के शहरी विकास व खेल मंत्री जोडिंत्लुआंगा की बहन की शादी ललथहवला के बेटे से हुई है। जोडिंत्लुआंगा भी तीसरी बार थोरांग सीट से मैदान में हैं।
यहां कांग्रेस की 'परिवार पहले' नीति के तहत टिकट पाने वालों में पूर्व मंत्री सी. चांगकुंगा की पुत्री वानलालम्पुई चांग्थू (39) भी शामिल हैं। वे लाललिम्पुई हमार (1987) के बाद दूसरी महिला विधायक औऱ राज्य की पहली मंत्री रही हैं। फिलहाल वे मिजोरम प्रदेश कांग्रेस समिति की महासचिव भी हैं।। वे रांग्तूरजो सीट से अपनी किस्मत आजमा रही हैं।
मिजो नेशनल फ्कंट (एमएनएफ) के अध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री जोरमथांगा कांग्रेस की परिवारवाद की नीति की खिंचाई करते हुए कहते हैं कि यह तो उस पार्टी की पुरानी संस्कृति है। दूसरी ओर, कांग्रेस ने यह कहते हुए इस फैसले का बचाव किया है कि लोगों को वंशवाद की नीति के तहत नहीं, बल्कि योग्यता के आधार पर टिकट दिए गए हैं। इन लोगों का काम ही उनकी योग्यता व प्रतिभा का सबूत है।
तीसरी बार सत्ता में लौटने का प्रयास कर रही कांग्रेस ने जहां अबकी एक दर्जन नए चेहरों पर भरोसा जताया है वहीं विपक्षी एमएनएफ ने भी 17 नए उम्मीदवारों को मौका दिया है।