एडीआर की रिपोर्ट के अनुसार, इस बार सबसे ज्यादा 27.2% बसपा के प्रत्याशियों ने चुनाव से ठीक पहले पार्टी का साथ छोड़ दिया। ये वो नेता थे, जिन्होंने 2017 का चुनाव बसपा के चुनाव चिन्ह पर लड़ा था और इस बार दूसरी पार्टियों के सिंबल के साथ मैदान में थे।
हाल ही में उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, मणिपुर और गोवा में हुए विधानसभा चुनाव को लेकर एक रिपोर्ट सामने आई है। ये रिपोर्ट एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक्स रिफॉर्म्स (एडीआर) ने जारी की है। इसमें चुनाव से ठीक पहले दल बदलने वाले प्रत्याशियों और विधायकों के आंकड़े दिए गए हैं
27 प्रतिशत प्रत्याशियों ने बदला पाला, ज्यादातर सपा में गए
एडीआर की रिपोर्ट के अनुसार, इस बार सबसे ज्यादा 27.2% बसपा के प्रत्याशियों ने चुनाव से ठीक पहले पार्टी का साथ छोड़ दिया। ये वो नेता थे, जिन्होंने 2017 का चुनाव बसपा के चुनाव चिन्ह पर लड़ा था और इस बार दूसरी पार्टियों के सिंबल पर मैदान में उतरे थे। इसके अलावा 13.4 फीसदी कांग्रेस के प्रत्याशियों ने चुनाव से ठीक पहले पार्टी का दामन छोड़ दिया।
इनमें से ज्यादातर ने समाजवादी पार्टी का दामन थामा। रिपोर्ट में बताया गया है कि दोबारा चुनाव लड़ रहे 276 प्रत्याशियों में से 54 यानी 20 प्रतिशत ने समाजवादी पार्टी जॉइन कर ली। वहीं, 35 यानी 13% ने भाजपा और 31 (11%) ने बहुजन समाज पार्टी का साथ पकड़ा।
पार्टी छोड़ने में विधायक भी पीछे नहीं रहे
विधायकों के आंकड़ों पर नजर डालें तो चुनाव से ठीक पहले पाला बदलने वालों में सबसे ज्यादा 32 फीसदी विधायक भाजपा के थे। 28 प्रतिशत विधायकों ने चुनाव से पहले कांग्रेस का साथ छोड़ा। पार्टी बदलकर चुनाव लड़ने वाले 85 विधायकों में से 38 फीसदी ने भाजपा जॉइन की थी। 22 प्रतिशत ने समाजवादी पार्टी का दामन थामा। 11 प्रतिशत विधायक कांग्रेस में गए।