विधान परिषद के 26% सदस्यों ने अपने ऊपर आपराधिक मुकदमे घोषित किए हैं। इसमें 19% के ऊपर तो गंभीर अपराधों के मुकदमे दर्ज हैं। चुनाव सुधार पर काम कर रही संस्था असोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक राइट्स (एडीआर) और इलेक्शन वॉच ने सदस्यों के शपथ पत्र के विश्लेषण के आधार पर यह दावा किया है।
उत्तर प्रदेश के निचले सदन में हुए मंथन को और तराशने की जिम्मेदारी जिस उच्च सदन पर है, उसके सदस्यों के भी दामन दागदार हैं। विधान परिषद के 26% सदस्यों ने अपने ऊपर आपराधिक मुकदमे घोषित किए हैं। इसमें 19% के ऊपर तो गंभीर अपराधों के मुकदमे दर्ज हैं। चुनाव सुधार पर काम कर रही संस्था असोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक राइट्स (एडीआर) और इलेक्शन वॉच ने सदस्यों के शपथ पत्र के विश्लेषण के आधार पर यह दावा किया है।
अर्थ एवं आपराधिक पृष्ठभूमि-
- 15 एमएलसी पर गंभीर आपराधिक मामले हैं।
- 3 के ऊपर हत्या एवं 4 सदस्यों पर हत्या के प्रयास के मुकदमे हैं।
- 81% सदस्यों ने खुद को करोड़पति बताया है।
- 82% भाजपा एमएलसी करोड़पति हैं।
- 86% सपा एमएलसी करोड़पति हैं।
- 83% निर्दलीयों ने भी अपनी संपत्ति करोड़ों में घोषित की है।
उम्र एवं शिक्षा की तस्वीर-
- 81% सदस्य स्नातक या उससे अधिक पढ़े-लिखे हैं।
- 16% सदस्यों ने 8वीं से 12वीं के बीच पढ़ाई की है।
- 65% सदस्य 41 से 60 साल की उम्र सीमा के बीच के हैं।
- 10% सदस्यों की उम्र 40 साल से कम है।
- 6% महिलाओं को ही उच्च सदन में जगह मिली है।