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17वीं लोकसभा में पिछली बार से 26 प्रतिशत ज्यादा दागी बैठकर कानून बनाएंगे। 2014 में 185 दागी जीत कर आए थे, जो सभी सांसदों का करीब 34 प्रतिशत था। इस बार संख्या 233 हो गई, प्रतिशत भी बढ़कर 43 पर पहुंच चुका है। वहीं 2009 में संसद पहुंचे दागियों के मुकाबले यह वृद्धि 44 प्रतिशत की है। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि किसी अपराध में आरोपी होने पर प्रत्याशी की जीत की संभावना 15.5 प्रतिशत रही है, जबकि साफ छवि वाले प्रत्याशी की जीत की संभावना इससे तीन गुना कम 4.7 प्रतिशत ही रही। एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स द्वारा ताजा लोकसभा के 539 विजेताओं के विश्लेषण के आधार पर यह हालात रखे गए हैं। तीन सांसदों के हलफनामे इस रिपोर्ट में कवर नहीं किए गए।

भाजपा के सांसदों में 39% दागी, कांग्रेस के एक सांसद पर 204 केस

भाजपा से सर्वाधिक दागी संसद में पहुंचे हैं। पार्टी के कुल सांसदों में इनका हिस्सा करीब 39 प्रतिशत रहा। जघन्य अपराधों के आरोपी सांसद भाजपा से 87, कांग्रेस से 19, जेडीयू से 8, वाईएसआरसीपी से 8, डीएमके से 6, शिवसेना से 5 और तृणमूल से 4 हैं। 
पार्टी    दागी    प्रतिशत
भाजपा    116    39
कांग्रेस    29    57
जेडीयू    13    81
शिवसेना    11    61
तृणमूल     13    81
डीएमके    9    41
लोजपा    6    100

10 दोषसिद्ध अपराधी भी चुने गए

10 प्रत्याशी ऐसे भी जीते जिन्होने अपने हलफनामों में बताया कि उन्हें किसी न किसी मामले में अदालत द्वारा सजा दी गई है। इनमें भाजपा के पांच, कांग्रेस के चार और वाईएसआरसीपी के एक सांसद हैं। इनमें ये नाम शामिल हैं :

भाजपा : धार मध्यप्रदेश से छतरसिंह दरबार, बाड़मेर राजस्थान से कैलाश चौधरी, मुंबई उत्तर-पूर्व से मनोज कोटक, डुमरियागंज से जगदंबिका पाल और सागर से राजबहादुर सिंह
कांग्रेस : इडुक्की केरल से डीन कुरियाकोसे, थ्रिसूर केरल से टीएन प्रथापन, कन्नूर से के सुधाकरन, पलक्कड़ से वीके श्रीकंदन

वाईएसआरसीपी : अनंतपुर आंध्रप्रदेश से तलारी रंगैयाह
हत्या, दुष्कर्म, अपहरण के आरोपी सांसद 109 प्रतिशत बढ़े
हत्या, दुष्कर्म, हत्या के प्रयास, अपहरण, महिलाओं से हिंसा जैसे जघन्य अपराधों में आरोपी सांसद पिछली बार से 47 और 15वीं लोकसभा से 83 अधिक हो चुके हैं। संसद में इनकी मौजूदगी 2009 के मुकाबले 109 प्रतिशत और 2014 के मुकाबले 42 प्रतिशत वूद्धि बढ़ी है।

वर्ष    दागी    प्रतिशत    जघन्य अपराध आरोपी %

2009    162    30                 76              14    
2014    185    34                112             21
2019    233    43                 159            29

प्रज्ञा सहित 11 सांसद हत्या के आरोपी

11 सांसदों पर हत्या के आरोप हैं, जिनमें पांच भाजपा के हैं। 30 सांसदों पर हत्या के प्रयास के मामले भी हैं। 29 पर भड़काऊ भाषण के मामले हैं। हत्या के आरोपी बने सांसद ये हैं 

भाजपा : स्वायत्त जिला असम से होरेन सिंग बे, कूच बिहार पश्चिम बंगाल से नितीश प्रमानिक, खीरी यूपी से अजय कुमार, भोपाल से प्रज्ञा सिंह, धार एमपी से छतरसिंह दरबार

बसपा : यूपी में घोसी से अतुल कुमार सिंह और गाजीपुर से अफजाल अंसारी

कांग्रेस : बहरामपुर पश्चिम बंगाल से अधीर रंजन चौधरी

एनसीपी : सतारा महाराष्ट्र से उदयनराजे प्रताप सिंह

वाईएसआरसीपी : हिंदुपुर आंध्रप्रदेश से कुरुवा गोरंटिया महादेव

निर्दलीय : कोकराझार असम से नबकुमार सरानिया

करोड़पति हैं, तो जीतने की संभावना 21 गुना ज्यादा

इस चुनाव में जीतने वाले 475 सांसद करोड़पति हैं। यह कुल सांसदों का 88 प्रतिशत है। यह भी कहा जा सकता है कि हर 10 में से नौ सांसद करोड़पति हैं। यह संख्या पिछली बार से 32 और 2009 से 160 अधिक है। 2009 के मुकाबले करोड़पति सांसदों की संख्या 51 प्रतिशत बढ़ चुकी है। चुनाव में जीत के मामले में करोड़पति होना कितना फायदेमंद है, इसे इस तथ्य से समझा जा सकता है कि करोड़पति प्रत्याशियों में से 21 प्रतिशत चुनाव जीते हैं, वहीं जिन प्रत्याशियों की संपत्ति एक करोड़ रुपये से कम थी, उनकी जीत की संभावना भी 1 प्रतिशत ही रह गई।

सबसे ज्यादा भाजपा में
पार्टी      करोड़पति    भाजपा
भाजपा          265     88
कांग्रेस           43      84
डीएमके           22    96
तृणमूल             20    91
वाईएसआरसी    19    86
जेडीयू              15    94
बसपा              10    100

जितना पैसा ज्यादा, उतनी ही जीत की संभावना

संपत्ति इतनी                प्रत्याशी    विजेता    जीत %
पांच करोड़ से अधिक        883    226    30.1
दो से पांच करोड़              678    125    18.4
50 लाख से दो करोड़        1601    112    07
10 लाख से 50 लाख          2069    27    1.3
10 लाख से कम                   2699    9    0.3

औसत संपत्ति 21 करोड़

देश की करीब चौथाई आबादी सौ रुपये से कम में हर दिन गुजरबसर कर रही है, लेकिन चुने गए सांसदों की औसत संपत्ति 20.93 करोड़ रुपये की है। प्रमुख पार्टियों में वाईएसआरसीपी के सांसदों की औसत संपत्ति सर्वाधिक 54.85 करोड़ रुपये है। तृणमूल कांग्रेस के सांसदों की सबसे कम 6.15 क रोड़।

पार्टी                 औसत संपत्ति
भाजपा              14.52 करोड़    
कांग्रेस                   38.71    
डीएमके                 24.51
वाईएसआरसीपी     54.85
तृणमूल कांग्रेस         6.15

तीन सबसे अमीर सांसद : तीनों कांग्रेसी

प्रत्याशी                     सीट             संपत्ति
नकुल नाथ                  छिंदवाड़ा    660 करोड़
एच वसंथकुमार       कन्याकुमारी     417 करोड़
डीके सुरेश          बंगलुरु ग्रामीण     338 करोड़

तीन सबसे गरीब सांसद : वाईएसआरसीपी

जहां वाईएसआरसीपी के सांसदों की संपत्ति का औसत सभी पार्टियों में सबसे अधिक रहा, वहीं यह भी एक रोचक तथ्य है कि इसी पार्टी से जीतीं गोदेती माधवी सबसे गरीब हैं। माधवी को इस लोकसभा का सबसे युवा सांसद भी बताया गया है।

प्रत्याशी                                सीट                     संपत्ति
जी माधवी, वाईएसआरसी    अराकू, आंध्रप्रदेश    1.41 लाख
चंद्राणी मुर्मु, बीजद    क्योंझर, ओडिशा                3.40 लाख
महंत बालकनाथ, भाजपा    अलवर राजस्थान          3.52 लाख

पांच साल में सबसे अमीर हुए सांसद

फिर से जीते 225 सांसदों में से कई की संपत्तियां दो से तीन गुना तक बढ़ी है। इसकी वजह उन्हाेंने विभिन्न कारेाबारों, निवेश, कार्यों और बैंक में जमा रकम आदि से हुई आय को बताया है।
सांसद व पार्टी                सीट               संपत्ति बढ़ी            वृद्धि %
डीके सुरेश, कांग्रेस    बंगलुरु ग्रामीण     253 करोड़             295
उदयनराजे प्रताप, एनसीपी    सतारा      139 करोड़              229
हरसिमरत कौर, शिअद    बठिंडा          109 करोड़              102
हेमा मालिनी, भाजपा    मथुरा                  72 करोड़                41
प्रभाकर रेड्डी, टीआरएस    मेडक               58 करोड़               85

पांच साल में 29 प्रतिशत बढ़ी संपत्ति

कुल 225 सांसद फिर से चुन कर आए हैं। उनके पिछले और मौजूदा हलफनामों की तुलना के अनुसार इन सांसदों की औसत संपत्ति पांच वर्ष में 4.87 करोड़ रुपये बढ़ी है। 2014 में इनकी औसत संपत्ति 17.07 करोड़ रुपये थी, जो इस 2019 में 21.94 करोड़ रुपये दर्ज की गई। इसे करीब 29 प्रतिशत माना जा रहा है।