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Date: 
01.11.2017
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हिमाचल विधानसभा चुनाव में इस बार 215 करोड़पति उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतरे हैं, जिनमें सबसे ज्यादा करोड़पति उम्मीदवार कांग्रेस पार्टी के हैं. कांग्रेस उम्मीदवार का आंकड़ा करीब 87 फीसदी है. दूसरे नंबर पर भाजपा है. 

इसके करीब 67 फीसदी तक करोड़पति हैं. कूल मिलाकर इस बार चुनाव लड़ रहे 63 फीसदी नेता दो करोड़ से ज्यादा के संपत्ति के मालिक हैं.

हिमाचल इलेक्शन वॉच के प्रदेश संयोजक ओपी बहुरोटिया ने पत्रकार वार्ता में बताया कि हिमाचल इलेक्शन वॉच और ज्ञान विज्ञान समिति ने प्रदेश विधानसभा चुनाव को लेकर सर्वे किया है. इसी में खुलासा हुआ है कि इस बार प्रदेश विधानसभा चुनाव में 338 उम्मीदवारों में से 215 उम्मीदवार करोड़पति हैं.

ताज़ा आंकड़ो के मुताबिक, टॉप टेन करोड़पति नेताओ में चौपाल से विधायक बलबीर वर्मा 90 करोड़ की संपत्ति के साथ टॉप पर हैं. वे इस मर्तबा भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं. 


बीते चुनाव में आजाद प्रत्याशी के तौर पर जीते थे. पिछले पांच वर्षी में उनकी सम्पति 23 करोड़ बढ़ गई. 84 करोड़ की संपत्ति के साथ मुख्यमंन्त्री के पुत्र विक्रमदित्य सिंह दूसरे नम्बर पर काबिज हैं. वे शिमला ग्रामीण से कांग्रेस के प्रत्याशी हैं. 

कांग्रेस के राकेश कालिया 74 करोड़ रुपए की प्रॉपर्टी के साथ तीसरे स्थान पर हैं. निर्दलीय प्रत्याशी देवराज 54 करोड़, उसके बाद जीएस बाली कांग्रेस 44 करोड़, नादौन के लेखराज 40 करोड़, दून से कांग्रेस विधायक राम कुमार दून 40 करोड़, मंडी से मंत्री अनिल शर्मा (अब भाजपा में) 40 करोड़, वीरभद्र सिंह 30 करोड़ और रोहित ठाकुर 27 करोड़ के साथ टॉप टेन में शामिल है. 

123 उम्मीदवारों के पास एक करोड़ से कम संपत्ति है.इसके अलावा, 53 उम्मीदवार ऐसे हैं, जिनके पास एक लाख से कम संपत्ति है. 

बीते पांच साल में इनकी प्रॉपर्टी बढ़ी 
पिछले पांच साल में जिनकी संपति बढ़ गई, उनमें से भी कोटखाई से कांग्रेस के मौजूदा विधायक रोहित ठाकुर की सम्पति चार करोड़ से 27 करोड़ हुई. बलवीर वर्मा की सम्पति 41 करोड़ से 90 करोड़ तक पहुंची है. 

मंडी के धर्मपुर विधासनभा क्षेत्र से भाजपा विधायक महेंद्र सिंह की प्रॉपर्टी 1 करोड़ से 15 करोड़ तक पहुंची है. जीएस बाली 24 से 44 करोड़ रुपए तक पहुंचे हैं. यादविंद्र गोमा की सम्पति पांच लाख से एक करोड़ हुई है. 

इन्द्रदत्त लखनपाल 38 लाख से चार करोड़ के मालिक हो गए हैं. हिमाचल में इस बार भी केवल छः फीसदी महिलाएं चुनाव लड़ रही है. यानी कि 19 महिलाएं ही सियासी दंगल में हैं. इसके अलावा, 18 फीसदी आपराधिक छवि के नेता चुनाव लड़ रहे हैं. इसमें से 9 फ़ीसदी पर गंभीर मामले दर्ज हैं.

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