"एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि देश में 107 मौजूदा सांसदों-विधायकों के खिलाफ हेट स्पीच (नफरती भाषण देने) के तहत मामले दर्ज हैं। इनमें सबसे ज्यादा जनप्रतिनिधि बीजेपी से हैं। यही नहीं, पिछले पांच वर्षों में ऐसे मामलों का सामना कर रहे 480 उम्मीदवारों ने चुनाव लड़ा है।"
यह रिपोर्ट चुनावी सुधारों पर काम करने वाली संस्था एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) ने सांसदों और विधायकों द्वारा उनके चुनावी हलफनामों में दी गई जानकारी के आधार पर बनाई है। एडीआर और नेशनल इलेक्शन वॉच (एनईडब्ल्यू) ने इसके लिए सभी मौजूदा सांसदों और विधायकों के अलावा पिछले पांच वर्षों में देश में हुए चुनावों में असफल उम्मीदवारों के चुनावी हलफनामों का विश्लेषण किया है। विश्लेषण से पता चलता है कि कई मौजूदा सांसदों और विधायकों ने अपने खिलाफ ‘‘नफरती भाषण’’ से संबंधित मामलों की घोषणा की है।
एडीआर के मुताबिक 33 मौजूदा सांसदों के खिलाफ इस तरह के आरोप हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इन आरोपियों में से दो तिहाई यानी 22 सांसद (66 प्रतिशत) बीजेपी के सदस्य हैं। दो सांसद कांग्रेस में हैं, एक-एक सांसद कई क्षेत्रीय पार्टियों में और एक निर्दलीय सांसद हैं। इन सांसदों को राज्यवार देखने पर पता चलता है कि इनमें से सात उत्तर प्रदेश से, चार तमिलनाडु से, तीन बिहार, तीन कर्नाटक और तीन तेलंगाना से, दो असम, दो गुजरात, दो महाराष्ट्र और दो पश्चिम बंगाल से और एक झारखंड, एक मध्य प्रदेश, एक केरल, एक ओडिशा और एक पंजाब से हैं।
हेट स्पीच के आरोपी दो तिहाई सांसद अकेले भाजपा के
रिपोर्ट के अनुसार, नफरत फैलाने वाले भाषण से संबंधित मामलों वाले कुल 33 सांसदों में दो तिहाई यानी 22 सांसद अकेले सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से हैं, दो कांग्रेस से और एक-एक आम आदमी पार्टी (एएपी), एआईएमआईएम, एआईयूडीएफ, डीएमके, एमडीएमके, पीएमके, शिव सेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) और वीसीके, इसके अलावा एक निर्दलीय सांसद भी इस सूची में शामिल हैं।
74 विधायकों के खिलाफ भी हेट स्पीच के मामले
देश भर में 74 विधायकों ने अपने खिलाफ नफरत फैलाने वाले भाषण से संबंधित मामलों की घोषणा की है। बिहार और उत्तर प्रदेश से नौ-नौ, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र और तेलंगाना से छह-छह, असम और तमिलनाडु से पांच-पांच, दिल्ली, गुजरात और पश्चिम बंगाल से चार-चार, झारखंड और उत्तराखंड से तीन-तीन, कर्नाटक, पंजाब से दो-दो ऐसे विधायक हैं। राजस्थान और त्रिपुरा से एक-एक और मध्य प्रदेश और ओडिशा से भी ऐसे एक-एक विधायक हैं।
अकेले 20 विधायक भाजपा से
पूरे देश में कुल 74 मौजूदा विधायकों के खिलाफ हेट स्पीच के मामले दर्ज हैं। इनमें से भी सबसे ज्यादा जनप्रतिनिधि बीजेपी के ही सदस्य हैं। नफरत फैलाने वाले भाषण से संबंधित मामलों वाले ऐसे 74 विधायकों में से 20 विधायक (27 प्रतिशत) अकेले भाजपा से हैं। वहीं, कांग्रेस से 13, आप से छह, सपा और वाईएसआरसीपी से पांच-पांच, डीएमके और राजद से चार-चार, एआईटीसी और एसएचएस से तीन-तीन, दो एआईयूडीएफ से और एआईएमआईएम, सीपीआई (एम), एनसीपी, सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी, टीडीपी, टिपरा मोथा पार्टी और टीआरएस से एक-एक के अलावा दो निर्दलीय विधायक भी इस लिस्ट में शामिल हैं।
हारने वाले नेताओं में भी 480 नफरत फैलाने के आरोपी
अब ये तो उनकी बात हुई जो चुनाव जीत कर विधायक और सांसद बन गए। लेकिन हारने वालों में भी कई ऐसे उम्मीदवार थे जिनके खिलाफ ऐसे मामले दर्ज थे। बीते पांच सालों में इस तरह के कम से कम 480 उम्मीदवारों ने संसद और विधानसभाओं के चुनावों में हिस्सा लिया है, यानी पार्टियां काफी बड़ी संख्या में ऐसे लोगों को टिकट देती हैं।
क्या है हेट स्पीच?
'डीडब्लू' के अनुसार, एडीआर ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि विधि आयोग ने मार्च, 2017 में जारी की गई अपनी एक रिपोर्ट में कहा था कि भारत में किसी भी कानून में हेट स्पीच की परिभाषा नहीं दी गई है। लेकिन आयोग ने इस बात पर भी ध्यान दिलाया है कि कई कानूनों के प्रावधानों में हेट स्पीच की बात जरूर की गई है।
भारत में विशेष रूप से चुनावों के दौरान हेट स्पीच के मामले बढ़ते जा रहे हैं। इनमें भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धाराएं 153ए, 153बी, 295ए, 298, 505(1) और (2) शामिल हैं। इनके अलावा लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के सेक्शन 8, सेक्शन 123(3ए) और सेक्शन 125 भी नफरती भाषण से जुड़े हुए प्रावधान हैं।
एडीआर के मुताबिक विधि आयोग ने अनुशंसा की है कि जनप्रतिनिधियों को नफरती भाषण देने से दूर रखने के लिए कई कदम उठाए जाने के जरूरत है। जैसे चुनाव आयोग की आदर्श आचार संहिता में बदलाव लाया जाना चाहिए और आईपीसी में नए प्रावधान लाये जाने चाहिए। इसके अलावा राजनीतिक दलों को ऐसे लोगों को टिकट नहीं देना चाहिए, जो हेट स्पीच के दोषी पाए जाएं उनके खिलाफ सख्त कदम उठाए जाने चाहिए और अदालतों में ऐसे मामलों को फास्ट ट्रैक करवा देना चाहिए ताकि फैसला जल्द आये।