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Source
दैनिक भास्कर
https://www.bhaskar.com/national/news/nota-vote-percentage-update-up-election-results-to-bihar-gopalganj-130146158.html
Date

लोकसभा और विधानसभा चुनावों में पिछले 5 साल में नोटा को लगभग 1.29 करोड़ वोट मिले हैं। चुनाव अधिकार निकाय एडीआर ने इसकी जानकारी दी है। एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) और नेशनल इलेक्शन वॉच (NEW) ने यह डेटा 2018-2022 के दौरान हुए चुनावों के आधार पर लिया है।

रिपोर्ट के मुताबिक, विधानसभा चुनाव में नोटा को करीब 64 लाख 53 हजार 652 वोट मिले हैं। वहीं, कुल मिलाकर नोटा को 65 लाख 23 हजार 975 वोट मिले हैं। लोकसभा चुनाव में नोटा को सबसे ज्यादा 51,660 वोट बिहार के गोपालगंज निर्वाचन क्षेत्र में मिले, जबकि सबसे कम 100 वोट लक्षद्वीप में मिले।

साल 2020 में विधानसभा चुनावों में नोटा को दो राज्यों में 7 लाख 49 हजार 360 वोट मले। इनमें बिहार में 7 लाख 06 ह हजार 252 वोट और दिल्ली में 43,108 वोट मिले। साल 2022 में 5 राज्यों के विधानसभा चुनावों में नोटा को सबसे कम 8 लाख 15 हजार 430 वोट मिले।

2019 में हुए महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में सबसे ज्यादा नोटा दबाया गया
2019 में हुए महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में नोटा को सबसे अधिक 7,42,134 वोट मिले और 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में मिजोरम को सबसे कम 2,917 वोट मिले। नोटा ने 2018 में छत्तीसगढ़ में हुए विधानसभा चुनाव में सबसे ज्यादा वोट शेयर यानी 1.98% हासिल किया। वहीं, दिल्ली राज्य विधानसभा चुनाव 2020 और मिजोरम राज्य विधानसभा चुनाव 2018 दोनों में सबसे कम वोट शेयर यानी 0.46% हासिल किया।

बिहार के रेड अलर्ट निर्वाचन क्षेत्र में 6,11,122 वोट
ADR ने कहा कि अगर किसी इलाके में तीन या उससे ज्यादा अपराधी रिकॉर्ड वाले उम्मीदवार मैदान में हैं तो वहां नोटा का ज्यादा इस्तेमाल हुआ है। साल 2018 में विधानसभा चुनावों में नोटा को 26,77,616 वोट मिले। बिहार के 217 रेड अलर्ट निर्वाचन क्षेत्रों में सबसे अधिक 6,11,122 वोट हासिल किए हैं।

ADR का कहना है कि यदि किसी निर्वाचन क्षेत्र में नोटा के लिए डाले गए वोट सभी चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों से अधिक हैं, तो किसी भी उम्मीदवार को निर्वाचित घोषित नहीं किया जाना चाहिए और नए चुनाव आयोजित किए जाने चाहिए। इसमें पहले के किसी भी उम्मीदवार को चुनाव लड़ने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।