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बिहार में नीतीश कैबिनेट का विस्तार हो चुका है। लगभग सभी मंत्रियों ने अपने-अपने विभागों का पदभार ग्रहण कर लिया है। नीतीश कैबिनेट में कुल मंत्रियों की संख्या 31 है। इन 31 मंत्रियों में 18 मंत्रियों के खिलाफ अपराधिक मामले दर्ज हैं। इनमें से 14 के खिलाफ गंभीर अपराध के मामले दर्ज हैं। इसका खुलासा एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स यानी एडीआर और इलेक्शन वॉच की ताजा रिपोर्ट में हुआ है। यह रिपोर्ट 28 मंत्रियों के साथ में शपथ पत्र के विश्लेषण के आधार पर तैयार की गई है, जबकि दो मंत्री अशोक चौधरी और जनक राम अभी विधानसभा यानी विधान परिषद के सदस्य नहीं हैं, इसलिए उनके शपथ पत्रों का विश्लेषण नहीं हो सका है। एडीआर की रिपोर्ट के अनुसार नीतीश मंत्रिमंडल में 64% मंत्रियों के खिलाफ अपराधिक मामले दर्ज हैं। इतनी बड़ी संख्या में दागी नेताओं को मंत्रिमंडल में शामिल किए जाने को लेकर कई तरह के सवाल उठने लगे हैं।
बताते चलें कि बिहार विधानसभा के 243 सीटों पर विभिन्न दलों के नेताओं ने चुनाव लड़ा। इन 243 नेताओं में से 163 यानी 68% ने खुद पर अपराधिक मामले की जानकारी दी है। 2015 के विधानसभा चुनाव में 142 यानी 58% नेताओं ने अपने खिलाफ अपराधिक मामले की जानकारी दी थी। इस तरह देखा जाए तो बीते 5 साल के दौरान बिहार विधान सभा पहुंचने वाले दागी नेताओं में 10% की वृद्धि हुई है। 5 साल पहले 98 के खिलाफ मामले दर्ज थे, वहीं इस बार 19 के खिलाफ हत्या, 130 के खिलाफ हत्या के प्रयास और 8 के खिलाफ महिला के विरूद्ध आपराधिक मामले दर्ज हैं।
वहीं अगर संपत्ति की बात कर ले तो सबसे अधिक संपत्ति नीतीश मंत्रिमंडल में जल संसाधन मंत्री बने संजय कुमार झा ने 22.37 करोड़ रुपए की संपत्ति घोषित की है, जबकि सबसे कम संपत्ति बसपा से जदयू में शामिल हुए मंत्री जमा खान की है।

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